जौनपुर पुलिस ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से कुल 9 एंड्रॉइड मोबाइल फोन तथा 4 लैपटॉप बरामद किए हैं। यह गिरोह भोले-भाले लोगों से मोटी रकम वसूलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। पुलिस ने इस मामले में अंकित यादव उर्फ शुभम यादव (23 वर्ष, मऊ निवासी) और राजकुमार उर्फ विक्की (22 वर्ष, गौतमबुद्ध नगर निवासी) को नहोरा सई नदी के पास से गिरफ्तार किया। इनके पास से तीन एंड्रॉइड फोन और तीन लैपटॉप बरामद हुए। यह गिरफ्तारी शाम 7:10 बजे की गई थी। इसके बाद उपनिरीक्षक अनिल कुमार तिवारी और उपनिरीक्षक विजय कुमार सिंह ने अपनी टीम के साथ राशिद (26 वर्ष, बिहार निवासी), राजीव कुमार (24 वर्ष, अमरोहा निवासी) और अभिषेक गुप्ता (31 वर्ष, लखनऊ निवासी) को बाकराबाद हाईवे तिराहे के पास से सुबह 5:00 बजे गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 6 एंड्रॉइड मोबाइल और 1 लैपटॉप जब्त किया गया। एसपी सिटी आयुष श्रीवास्तव ने बताया कि यह गिरोह अवैध तरीके से असली जन्म प्रमाण पत्र बनाता था। ये प्रमाण पत्र उत्तराखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ ग्राम पंचायत अधिकारियों के जीमेल लॉगिन का उपयोग करके बनाए जाते थे। गिरोह के पास इन अधिकारियों के लॉगिन क्रेडेंशियल थे। गिरोह के सदस्य लॉगिन का उपयोग करके 4 से 5 आवश्यक डेटा (जैसे नाम, माता का नाम, पिता का नाम, पता और जन्मतिथि) प्राप्त करते थे। इस जानकारी के आधार पर, वे सरकारी वेबसाइट पर लॉगिन करके फर्जी तरीके से असली दिखने वाले प्रमाण पत्र बनाते और संबंधित व्यक्ति को सौंप देते थे। यह गिरोह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अपने फर्जीवाड़े का प्रचार-प्रसार करता था। जांच में सामने आया है कि एक दिन के लिए 20 हजार रुपये में जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए आईडी पासवर्ड बेचे जाते थे। सीएमओ की शिकायत पर 7-लेयर जांच के बाद इन आरोपियों को पकड़ा गया। डेढ़ साल में हजारो बनाया फर्जी जन्म प्रमाण पत्र गिरोह लगभग डेढ़ सालो से इस रैकेट को चला रहा है। और हजारो की संख्या में इन्होने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाया है। पुलिस ने 500 से अधिक प्रमाण पत्र रिकवर किये है। जिन ग्राम पंचायत अधिकारी की लॉगिन से इसको जारी किया गया है। पुलिस उन अधिकारियो को एक पत्र भी लिखेगी। जो प्रमाण पत्र बने है उसको कैंसिल करे। एक प्रमाण पत्र है इस समय यहां पर है जिसमें जो व्यक्ति है जिसमे उसके माता पिता का पता है वेस्ट बंगाल का और प्रमाण महाराट्र से बना है। जन्म प्रमाण पत्र के जरिये आधार कार्ड भी बड़े आसानी से बन जाते है। आधार के जरिये कोई भी सर्टिफिकेट बनाया जा सकता है चाहे वो पासपोर्ट हो या अन्य कोई कागजात बन सकता है। लास्ट लेयर में पता चला कि बहुत से सारे अधिकारियो के लॉगिन को एक दिन के लिए लोगो को 20 हजार में बेचता था। लोग लॉगिन खरीदकर बहुत से सारे प्रमाण पत्र बनाते थे. और प्रमाण पत्र को 6 से 7 सौ रूपये में बेचता था। सीएमओ की शिकायत के बाद जाँच में हुआ खुलासा
एसपी सिटी ने आयुष श्रीवास्तव ने बताया कि जौनपुर के पुलिस अधीक्षक को सीएमओ का एक रजिस्ट्री आयी थी। जिसमें उनको फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बन रहे है , इनको इस बात का संदेह था। फर्जी प्रमाण पत्र दो तरीके से हो सकते है एक तो फोटोशॉप से डेटा को चैंज करके और इससे आधार बना ले। और दूसरा फर्जी तरीके से रियल ही प्रमाण पत्र आप बना लिए।जन सहज सेवा केंद्र के व्हाट्सअप ग्रुप के माधयम से होता था सम्पर्क पुलिस की पूछताछ में पता चला कि ये लोग सहज जन सेवा केंद्र के लोगो से सम्पर्क करके एक व्हाट्सप्प ग्रुप बना कर उसके जरिये और साथ में फेसबुक पर भी ग्रुप बनाकर उसमे प्रचार प्रसार करते थे। और किसी को यहा का जन्म प्रमाण पत्र चाहिए तो हमसे सम्पर्क करे। और हम बनाकर एक दिन के अंदर देंगे। पुलिस आगे जाँच कर रही है। गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि वे ग्राम पंचायत की आईडी से मिलते-जुलते पासवर्ड का उपयोग करके लॉगिन करते थे। इसके बाद एनी डेस्क (AnyDesk) पर स्क्रीन शेयर के माध्यम से संबंधित आईडी का पासवर्ड जनरेट कर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाते थे और लोगों से मोटी रकम वसूलते थे।
इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब रतन कुमार (जौनपुर) ने अपनी बेटी का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के लिए विजय यादव को दिया। विजय द्वारा दिए गए प्रमाणपत्र का सीएमओ कार्यालय जौनपुर से सत्यापन कराने पर वह फर्जी पाया गया। जांच में पता चला कि विजय यादव के गिरोह में रामभरत मौर्या (चंदौली) जैसे अन्य सदस्य भी शामिल हैं। पुलिस आगे की कानूनी कार्रवाई कर रही है।
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