बरेली में राष्ट्र जागरण उद्योग व्यापार मंडल ने जीएसटी ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल करने पर लगने वाली भारी फीस और अन्य शुल्कों का विरोध किया है। महानगर अध्यक्ष विशाल मेहरोत्रा के नेतृत्व में व्यापारियों ने अपर आयुक्त ग्रेड-वन के माध्यम से अध्यक्ष जीएसटी काउंसिल, नई दिल्ली को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि 1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद देशभर में अपील से जुड़े लाखों मामले लंबित हैं। इन प्रकरणों में व्यापारियों और उद्यमियों की करोड़ों रुपये की पूंजी फंसी हुई है। इन मामलों का निपटारा जीएसटी ट्रिब्यूनल के माध्यम से किया जाना है, लेकिन अपील दायर करने के लिए अत्यधिक शुल्क निर्धारित किए गए हैं। विशाल मेहरोत्रा ने जानकारी दी कि वर्तमान में ट्रिब्यूनल में अपील दाखिल करने पर 5,000 से 25,000 रुपये तक कोर्ट फीस ली जाती है। इसके अतिरिक्त, अभिलेख देखने के लिए 6,000 रुपये, प्रत्येक प्रार्थना पत्र पर 5,000 रुपये और आदेश की प्रमाणित प्रतियों के लिए प्रति पृष्ठ शुल्क लिया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि यह शुल्क संरचना अत्यधिक है और उन पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाल रही है। मेहरोत्रा ने बताया कि पहले के कर कानूनों और वर्तमान आयकर अपीलीय व्यवस्था में इस प्रकार की भारी-भरकम फीस का प्रावधान नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि जीएसटी ट्रिब्यूनल में वही व्यापारी अपील करता है, जिसकी वैधानिक और तथ्यात्मक स्थिति मजबूत होती है। ऐसे में, वर्षों से फंसी पूंजी के साथ इतनी अधिक फीस न्याय प्राप्त करना और कठिन बना देती है। ज्ञापन में मांग की गई है कि जीएसटी ट्रिब्यूनल में अपील करने की कोर्ट फीस को न्यूनतम किया जाए। साथ ही, प्रत्येक प्रार्थना पत्र पर लगने वाले 5,000 रुपये के शुल्क को समाप्त किया जाए। अभिलेख देखने, प्रमाणित प्रतियां और अन्य सहायक प्रक्रियाओं पर लगाए गए शुल्कों को भी या तो समाप्त करने या अत्यंत कम करने की मांग की गई है। इस अवसर पर मंडल महामंत्री आशु अग्रवाल, जिलाध्यक्ष राजकुमार राजपूत, अनिल पाटिल, अमित मिश्रा, राजीव अग्रवाल, निशांत अग्रवाल, राहुल रस्तोगी, रजत अग्रवाल, रोहित भसीन, विशाल सिंह और राजेंद्र राजपूत सहित अनेक व्यापारी उपस्थित रहे।
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