मेरठ में जिस्मफरोशी से जुड़े तीन महीने पुराने मामले में गिरफ्तार किए गए विकास त्यागी को गुरुवार को कोर्ट ने जमानत दे दी। पुलिस की तरफ से मौजूद सरकारी वकील और विकास त्यागी के अधिवक्ता के बीच काफी देर बहस चली। पुलिस अपना मजबूत पक्ष नहीं रख पायी, जिसके बाद कोर्ट ने विकास त्यागी को जमानत दे दी। पहले जानिए क्या है पूरा मामला नौचंदी थाना क्षेत्र में 14 सितंबर को पुलिस ने एक कंप्यूटर इंस्टिट्यूट पर छापा मारकर वहां चल रहे जिस्मफरोशी के खेल का भंडाफोड़ किया था। इंस्टिट्यूट के संचालक समेत कुल 13 लोग गिरफ्तार किए गए, जिनमें से 6 आरोपियों को न्यायालय ने जेल भेज दिया। जिस बिल्डिंग में यह इंस्टिट्यूट संचालित हो रहा था वह विकास त्यागी नामक व्यक्ति की थी, जिसे पुलिस की छानबीन में क्लीन चिट दे दी गई। एएसपी की जांच में पाए गए आरोपी शुरुआत में इस मामले की जांच सीओ कैंट नवीना शुक्ला कर रही थीं जिन्होंने विकास त्यागी को क्लीन चिट दे दी। उच्चाधिकारियों से इसकी शिकायत की गई जिसके बाद नए सिरे से जांच एएसपी कोतवाली अंतरिक्ष जैन ने शुरू की। अंतरिक्ष जैन की जांच में विकास त्यागी की संलिप्तता पाई गई, जिसके आधार पर बुधवार को पुलिस ने विकास त्यागी को गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय ने विकास को भेजा जेल गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने विकास त्यागी को न्यायालय के समक्ष पेश किया। बताया जाता है कि पुलिस ने गिरफ्तारी मीमो पर साइन कराने का दबाव बनाया लेकिन विकास ने साइन नहीं किए। विकास त्यागी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी ने बेल एप्लीकेशन लगाई लेकिन कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करने की बात कहते हुए विकास त्यागी को जेल भेज दिया। पुलिस के आरोपों पर भारी पड़ी दलीलें गुरुवार को विकास त्यागी की बेल पर सुनवाई होनी थी। उनके अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी ने बेल के लिए ग्राउंड तैयार किया। कोर्ट के अंदर पुलिस ने विकास त्यागी पर आरोप लगाए। यहां तक कहा कि विकास के संरक्षण में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था लेकिन प्रमोद कुमार त्यागी की दलीलें पुलिस के आरोपों पर भारी पड़ गईं। एग्रीमेंट को किया दलील में शामिल गुरुवार को जमानत पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने अपने आरोपों को दोहराया। यह भी बताया कि विकास त्यागी का नाम पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए लोगों द्वारा ही लिया गया था। विकास त्यागी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी ने इस पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि विकास का दोष केवल इतना था कि जहां वह गलत काम चल रहा था, वह उस जगह के मालिक थे। जबकि हकीकत यह है कि उन्होंने अपनी प्रोपर्टी किराए पर दी थी और उसका एग्रीमेंट था। एग्रीमेंट में लिखा था, गलत कार्य नहीं करेंगे प्रमोद कुमार त्यागी ने बताया कि विकास के एग्रीमेंट में साफ लिखा गया था कि किरायेदार कोई गलत काम नहीं करेंगे। इसके बावजूद उन्होंने धोखा दिया। दूसरी बात, महिला सीओ की जांच में विकास को क्लीनचिट मिल चुकी थी लेकिन दोबारा जांच कराकर उन्हें आरोपी बनाया गया। बिना जानकारी दिए गिरफ्तार किया और अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। उनके बैंक एकाउंट व कॉल डिटेल्स में भी कुछ गलत नहीं मिला। कोर्ट ने दलीलों को माना और विकास त्यागी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली।
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