मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने 24 साल पुराने मिलावटी दूध बेचने के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। न्यायालय ने दूध विक्रेता को दोषी करार देते हुए छह माह के साधारण कारावास और एक हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि यह मामला 14 मई 2001 का है। उस समय जालौन कोतवाली क्षेत्र के औरेखी गांव निवासी अनवर साइकिल से बंगरा रोड की ओर दूध बेचने जा रहा था। छिरिया में तैनात खाद निरीक्षक राजीव मिश्रा ने उसे रोका और उसके पास मौजूद अलग-अलग केनों से कुल 60 लीटर दूध के नमूने लिए। इन नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया। 2001 में ही लखनऊ स्थित प्रयोगशाला से आई जांच रिपोर्ट में दूध के नमूनों को मिलावटी घोषित किया गया था। इसके बाद आरोपी दूधिया अनवर के खिलाफ नियमानुसार मामला दर्ज कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दाखिल किया गया। यह मामला लंबे समय तक न्यायालय में विचाराधीन रहा। कोर्ट में चले ट्रायल के दौरान खाद निरीक्षक सहित अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए गए। अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। अंततः मंगलवार को 24 साल पुराने इस मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिषेक खरे ने सभी गवाहों के बयान, दस्तावेजी साक्ष्य और प्रयोगशाला रिपोर्ट के आधार पर आरोपी अनवर को मिलावटी दूध बेचने का दोषी पाया। न्यायालय ने आरोपी को छह माह की सजा के साथ एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। इस फैसले को खाद्य सुरक्षा कानूनों के तहत मिलावट के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह निर्णय यह संदेश देता है कि कानून से बचना संभव नहीं है, भले ही मामले में कितना भी समय क्यों न बीत जाए।
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