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जांच एजेंसियां कैनविज कंपनी के मालिक की कर रही तलाश:बरेली में निवेश के नाम पर 3 हजार करोड़ की ठगी की है

कैनविज ग्रुप के नाम से पहचानी जाने वाली कंपनी के पीछे जिस व्यक्ति का नाम सबसे आगे रहा, वह है कन्हैया लाल गुलाटी। कभी मंच से सपने बेचने वाला यही चेहरा आज लाखों निवेशकों के लिए दर्द, धोखे और तबाही का प्रतीक बन चुका है। छोटे से किराए के दफ्तर से शुरू हुआ नेटवर्क, मंच से करोड़पति बनने के सपने और फिर लाखो परिवारों की तबाही। कैनविज नाम की जिस कंपनी को कभी आर्थिक आजादी का रास्ता बताया गया, वही आज देश के सबसे बड़े मल्टी लेवल मार्केटिंग घोटालों में गिनी जा रही है। गुलाटी पर अब तक 36 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और जांच एजेंसियों का आकलन है कि करीब 20 लाख लोगों से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की ठगी की गई है। ग्राउंड पर हालात ऐसे हैं कि जिन लोगों ने जीवन भर की जमा पूंजी, उधार का पैसा या जमीन बेचकर कैनविज में निवेश किया, वे आज थानों, एसपी ऑफिस और कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। दूसरी ओर कंपनी के दफ्तर बंद हैं, फोन स्विच ऑफ हैं और जिस चेहरे पर भरोसा किया गया, वह नजरों से ओझल हो चुका है। छोटे ऑफिस से शुरू हुआ बड़ा जाल, छह लोगों की टीम और नेटवर्क मार्केटिंग का मॉडल कैनविज की शुरुआत एक छोटे से किराए के ऑफिस से हुई थी। साल 2007 में कैनविज सेल्स एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी रजिस्टर की गई। शुरुआती दिनों में छह लोगों की एक टीम ने नेटवर्क मार्केटिंग के जरिए लोगों को जोड़ना शुरू किया। मॉडल सीधा था। कम निवेश, ज्यादा रिटर्न और हर नए सदस्य पर कमीशन। 2007 से 2014 के बीच कंपनी ने दावा किया कि उसने चार लाख से ज्यादा लोगों को अपने नेटवर्क से जोड़ लिया है। धीरे-धीरे यह आंकड़ा बढ़ता गया और 2024 तक यह संख्या करीब 20 लाख तक पहुंच गई। यही वह दौर था जब कैनविज उत्तर प्रदेश से निकलकर बिहार और झारखंड में तेजी से फैली। भव्य सेमिनार, बड़ी बातें और भरोसे का खेल, तालकटोरा स्टेडियम से फाइव स्टार होटलों तक कैनविज की पहचान उसके भव्य सेमिनार बने। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से लेकर बड़े शहरों के फाइव स्टार होटलों तक ऐसे आयोजन हुए, जिनमें हजारों नहीं, लाखों लोग जुटते थे। मंच पर कन्हैया गुलाटी और उसकी टीम होती थी और सामने भीड़, जो करोड़पति बनने के सपने देख रही होती थी। सेमिनारों का माहौल किसी रैली से कम नहीं होता था। चमकदार लाइटें, बड़े स्क्रीन, विदेशी मेहमान और ऊंचे दावे। लोगों को बताया जाता था कि यह सिर्फ बिजनेस नहीं, बल्कि एक मूवमेंट है। जो जितना जल्दी जुड़ेगा, उतना ज्यादा कमाएगा। यही भरोसा लोगों को कैनविज की ओर खींचता चला गया। एमएलएम के साथ एलआईसी और जमीन का खेल पुलिस और एसआईटी की जांच में सामने आया कि कैनविज ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम जैसे बड़े और भरोसेमंद ब्रांड का नाम और लोगो भी इस्तेमाल किया। सेमिनार, वेबसाइट और प्रचार सामग्री में एलआईसी का जिक्र किया गया, जिससे लोगों को लगा कि कंपनी किसी न किसी रूप में सरकारी संस्था से जुड़ी है। बाद में एलआईसी की ओर से स्पष्ट किया गया कि कैनविज को न तो बीमा बेचने की अनुमति थी और न ही उनके लोगो के इस्तेमाल की। इसके बावजूद लंबे समय तक यह खेल चलता रहा। एमएलएम के जरिए बीमा उत्पाद बेचना कानूनन गलत है, लेकिन कैनविज ने इसी रास्ते से हजारों लोगों को जोड़ा। जमीन, प्लॉट और कॉलोनियों का लालच सिर्फ नेटवर्क मार्केटिंग ही नहीं, कैनविज ने रियल एस्टेट को भी ठगी का जरिया बनाया। बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं समेत कई जिलों में प्लॉट और कॉलोनियों का सपना दिखाया गया। लोगों से कहा गया कि बीडीए से अप्रूव्ड कॉलोनियों में प्लॉट दिए जाएंगे। पीड़ितों का आरोप है कि लाखों और करोड़ों रुपये लेने के बाद न तो रजिस्ट्री हुई और न ही कॉलोनियों में कोई काम शुरू हुआ। कई मामलों में दस साल बीतने के बाद भी जमीन पर सिर्फ झाड़ियां उगी हुई हैं। डाउनफॉल की शुरुआत: 2021 के बाद भुगतान रुका, लोग सवाल पूछने लगे साल 2021 के बाद कैनविज का डाउनफॉल शुरू हुआ। निवेशकों को मिलने वाले भुगतान में देरी होने लगी। जिन फाउंडर मेंबर्स के नाम कंपनी के साथ जुड़े थे, उनमें से कई लोग अलग हो गए। ऑफिस बंद होने लगे और फोन उठने बंद हो गए। यहीं से लोगों को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। पहले शिकायतें कंपनी के दफ्तर तक पहुंचीं, फिर थानों तक। क्रिप्टो करेंसी ड्रिबल और नया झांसा, दिल्ली के होटल में लॉन्च, करोड़ों के सपने जांच में यह भी सामने आया कि कैनविज ने क्रिप्टो करेंसी को भी ठगी का हथियार बनाया। फरवरी 2018 में दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित अशोका होटल में ड्रिबल नाम की क्रिप्टो करेंसी लॉन्च की गई। इस कार्यक्रम में विदेशी मेहमानों को भी बुलाया गया। निवेशकों से कहा गया कि एक हॉलीडे पैकेज के साथ उन्हें 24 हजार रुपये की क्रिप्टो करेंसी मुफ्त दी जाएगी, जो भविष्य में 24 करोड़ तक पहुंच सकती है। मंच से यह भी कहा गया कि कंपनी कभी भागेगी नहीं। हकीकत यह है कि भारत में क्रिप्टो करेंसी को कानूनी मुद्रा की मान्यता नहीं है। इसके बावजूद इस नाम पर लोगों से पैसा लिया गया। बिहार और झारखंड में सबसे ज्यादा असर एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक कैनविज ने बिहार और झारखंड में सबसे ज्यादा लोगों को शिकार बनाया। छोटे कस्बों और गांवों में बेरोजगार युवाओं, किसानों और दुकानदारों को यह कहकर जोड़ा गया कि यही आर्थिक उन्नति का रास्ता है। लोगों ने कर्ज लेकर, जमीन बेचकर और रिश्तेदारों से पैसा उधार लेकर निवेश किया। आज वही लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। मुकदमों की बाढ़: अब तक 36 एफआईआर, जांच तेज कन्हैया गुलाटी और उसकी टीम के खिलाफ अब तक 36 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ये मुकदमे बरेली, शाहजहांपुर, सीतापुर, बदायूं, बिहार और झारखंड में दर्ज हैं। अलग-अलग मामलों में ठगी, धोखाधड़ी, धमकी और जालसाजी के आरोप हैं। बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने पूरे मामले की जांच के लिए दो एसआईटी गठित की हैं। एसएसपी का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि संगठित ठगी का मामला है। घर बेचकर भूमिगत हुआ कन्हैया गुलाटी जांच के दौरान सामने आया कि कन्हैया गुलाटी ने बरेली के स्टेडियम रोड स्थित अपना मकान भी बेच दिया है। यह सौदा एक महीने पहले हुआ और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसके बाद वह पत्नी, बेटे और मां के साथ भूमिगत हो गया। पुलिस को आशंका है कि वह देश छोड़कर भाग सकता है, इसी वजह से उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। कन्हैया गुलाटी का पारिवारिक बैकग्राउंड कन्हैया गुलाटी का पारिवारिक बैकग्राउंड देश के बंटवारे से जुड़ा बताया जाता है। गुलाटी परिवार की जड़ें पाकिस्तान के बन्नू जिले से जुड़ी रही हैं, जो दक्षिण पेशावर से करीब 190 किलोमीटर दूर स्थित है। वर्ष 1947 में देश के विभाजन के दौरान गुलाटी परिवार भारत आ गया। पहले अंबाला और फिर दिसंबर 1948 में परिवार उत्तर प्रदेश के बरेली में आकर बस गया। जांच एजेंसियों के मुताबिक, बाद के वर्षों में इसी पारिवारिक संघर्ष और विस्थापन की कहानी का जिक्र कर कन्हैया गुलाटी ने लोगों के बीच सहानुभूति और भरोसा बनाने की कोशिश की। सेमिनारों और बैठकों में वह खुद को जमीन से जुड़ा और संघर्ष से निकला व्यक्ति बताता रहा। 1949 से शुरू हुआ पारिवारिक व्यापार मार्च 1949 में कन्हैया गुलाटी के दादा ने बरेली में छोटे स्तर पर व्यापार शुरू किया था। यही व्यापार परिवार की आजीविका का साधन बना। बाद में इस कारोबार को कन्हैया गुलाटी के पिता चंद्रशेखर गुलाटी ने संभाला। पुलिस जांच में सामने आया है कि पारिवारिक व्यापार और पुराने स्थानीय संपर्कों का इस्तेमाल कन्हैया गुलाटी ने आगे चलकर अपने नेटवर्क को मजबूत करने में किया। लोगों के बीच यह भरोसा बनाया गया कि परिवार लंबे समय से व्यापार में है, इसलिए उस पर आंख बंद कर भरोसा किया जा सकता है। बरेली में जन्म और पढ़ाई: स्थानीय पहचान को हथियार बनाया कन्हैया गुलाटी का जन्म बरेली में हुआ और शुरुआती पढ़ाई भी यहीं हुई। पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा के दौरान वह परिवार के साथ रहा। बाद के वर्षों में वह खुद यह दावा करता रहा कि उसे घर से नैतिक शिक्षा मिली है। हालांकि, जांच एजेंसियों का कहना है कि इसी स्थानीय पहचान और पारिवारिक छवि का इस्तेमाल कर उसने लोगों को अपने करीब लाने और निवेश के लिए तैयार करने का काम किया। नैनीताल में पढ़ाई: मंचों पर खुद को अनुशासित दिखाने की कोशिश उच्च शिक्षा के लिए कन्हैया गुलाटी नैनीताल गया। बाद के वर्षों में वह मंचों से यह कहता रहा कि वहां के माहौल ने उसे अनुशासन और समय प्रबंधन सिखाया। लेकिन पुलिस के अनुसार, इन दावों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी छवि गढ़ने और लोगों को प्रभावित करने के लिए किया गया। सेमिनारों में वह खुद को ऐसा व्यक्ति बताता था, जिसने पढ़ाई और संघर्ष के दम पर यह मुकाम हासिल किया। संघर्ष की कहानी को ब्रांड बनाया अप्रैल 1998 में एक सड़क दुर्घटना में कन्हैया गुलाटी के पिता की मौत हो गई। इसके बाद पारिवारिक कारोबार की जिम्मेदारी कन्हैया गुलाटी पर आ गई। बाद के वर्षों में उसने इसी घटना को अपनी संघर्ष गाथा के रूप में पेश किया। जांच में सामने आया है कि इस व्यक्तिगत घटना को बार-बार मंचों से दोहराकर उसने लोगों की भावनाओं को छुआ और भरोसा हासिल किया। मां के नाम पर भावनात्मक अपील
कन्हैया गुलाटी यह दावा करता रहा कि उसकी मां उसके लिए प्रेरणा स्रोत रहीं और उन्हीं के मार्गदर्शन में उसने फैसले लिए। लेकिन जांच एजेंसियों का कहना है कि इन पारिवारिक संदर्भों का इस्तेमाल केवल भावनात्मक अपील के तौर पर किया गया। हकीकत यह है कि इसी दौर में उसने ऐसे कारोबारी मॉडल तैयार किए, जिन पर अब हजारों करोड़ की ठगी के आरोप हैं। शादी और परिवार: नेटवर्क का दायरा बढ़ाने में भूमिका जनवरी 2000 में कन्हैया गुलाटी का विवाह राधिका महाजन से हुआ। बाद के वर्षों में पत्नी, बेटा और अन्य रिश्तेदार भी किसी न किसी रूप में उसके कारोबारी नेटवर्क से जुड़े रहे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, परिवार के नाम और रिश्तों का इस्तेमाल निवेशकों के बीच भरोसा कायम करने के लिए किया गया। कई मामलों में पीड़ितों का आरोप है कि उन्हें परिवार का हवाला देकर निवेश के लिए मनाया गया। कैनविज की शुरुआत: जहां से ठगी का नेटवर्क फैला 19 मार्च 2007 को कन्हैया गुलाटी ने कैनविज सेल्स एंड मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। शुरुआत में इसे एक साधारण डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के तौर पर पेश किया गया। मल्टी लेवल मार्केटिंग मॉडल अपनाकर लोगों को कम निवेश में बड़े रिटर्न का सपना दिखाया गया। यही मॉडल आगे चलकर ठगी का सबसे बड़ा जरिया बना। बेरोजगार युवाओं, छोटे दुकानदारों और नौकरीपेशा लोगों को यह कहकर जोड़ा गया कि यही आर्थिक उन्नति का रास्ता है। आज वही कैनविज मॉडल 20 लाख लोगों से 3 हजार करोड़ की ठगी के आरोपों के घेरे में है और इसका संस्थापक कन्हैया गुलाटी परिवार सहित भूमिगत बताया जा रहा है। 20 लाख लोगों से 3 हजार करोड़ की ठगी, सब कुछ प्लानिंग के तहत किया गया सोशल एक्टिविस्ट अमित मिश्रा ने कहा कि कैनविज घोटाला किसी एक राज्य या एक योजना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के सबसे बड़े संगठित एमएलएम फ्रॉड में से एक है। उनके मुताबिक अब तक के दस्तावेजों और पीड़ितों की शिकायतों से साफ है कि करीब 20 लाख लोगों से लगभग 3 हजार करोड़ रुपये की ठगी की गई है। अमित मिश्रा ने बताया कि कैनविज कंपनी के नाम पर जो भी ऑफिस दिखाए जाते थे, वे सभी किराए के थे। जैसे ही ठगी का मामला सामने आया, एक के बाद एक सभी ऑफिस बंद कर दिए गए। आज स्थिति यह है कि कंपनी का कोई भी स्थायी दफ्तर जमीन पर मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भी जांच का विषय है कि कन्हैया गुलाटी और उसका पूरा परिवार पहले से ही फरारी की तैयारी कर चुका था। उनके अनुसार इस बात की आशंका है कि परिवार के कुछ सदस्य पहले ही विदेश निकल चुके हों। जिस तरह से घर बेचकर, दफ्तर खाली कर और बैंक खातों से लेनदेन किया गया, उससे यह पूरा मामला पूर्व नियोजित साजिश जैसा प्रतीत होता है। अमित मिश्रा ने यह भी कहा कि कैनविज के नाम पर लोगों से जो पैसा लिया गया, उसे अलग-अलग माध्यमों और खातों के जरिए इधर-उधर किया गया। अब जरूरत इस बात की है कि जांच एजेंसियां सिर्फ कन्हैया गुलाटी ही नहीं, बल्कि उसके पूरे नेटवर्क और आर्थिक लेनदेन की गहराई से जांच करें, ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। ठगी के नेटवर्क की परत दर परत जांच, जल्द होगी गिरफ्तारी: एसएसपी एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि कैनविज कंपनी और उसके संचालक कन्हैया गुलाटी के खिलाफ दर्ज मामलों को गंभीरता से लिया गया है। अब तक अलग-अलग जिलों में दर्ज 36 मुकदमों की जानकारी जुटाई गई है। प्रथम दृष्टया यह मामला संगठित आर्थिक अपराध का प्रतीत हो रहा है, जिसमें मल्टी लेवल मार्केटिंग, रियल एस्टेट और अन्य माध्यमों से बड़ी संख्या में लोगों से धनराशि एकत्र की गई है। एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच के लिए दो अलग-अलग एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी द्वारा कंपनी की सभी शाखाओं, बैंक खातों, संपत्तियों और लेनदेन की जांच की जा रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि ठगी की रकम कहां-कहां ट्रांसफर की गई और इसमें कौन-कौन लोग शामिल रहे हैं। अनुराग आर्य ने कहा कि कन्हैया गुलाटी के परिवार के सदस्य और कंपनी से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। आरोपी के देश छोड़कर भागने की आशंका को देखते हुए उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कराया गया है। जल्द ही आरोपी की गिरफ्तारी की जाएगी। एसएसपी ने यह भी कहा कि पीड़ितों से अपील की गई है कि वे सामने आकर अपनी शिकायतें दर्ज कराएं, ताकि साक्ष्यों के आधार पर ठोस कार्रवाई की जा सके। पुलिस का प्रयास है कि पीड़ितों की गाढ़ी कमाई वापस दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत संपत्तियों को जब्त किया जाए।


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