संभल के ऐंचौड़ा कम्बोह स्थित श्रीकल्कि धाम में शनिवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सात दिवसीय श्रीकल्कि कथा के छठे दिन प्रवचन दिए। इस अवसर पर उन्होंने कल्कि धाम के निर्माण के लिए 11 लाख रुपये के सहयोग की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि कई मंत्री और नेता आए, लेकिन किसी ने भी कल्कि धाम के लिए सहयोग की घोषणा नहीं की। जगद्गुरु ने बताया कि उनका कोई बैंक खाता नहीं है और उन्हें पैसे गिनना नहीं आता। अपने व्यक्तिगत जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें 2015 में पद्मश्री पुरस्कार मिला था, जिसे उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वीकार नहीं किया था। बाद में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और इसी साल 16 मई को उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला। उन्होंने अब तक 375 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें संस्कृत के चार महाकाव्य शामिल हैं। उन्होंने पढ़ने-लिखने के प्रति अपने प्रेम और समाज के लिए निरंतर कार्य करने की बात कही। राम मंदिर निर्माण के संघर्ष को याद करते हुए जगद्गुरु ने बताया कि इस आंदोलन के दौरान उन पर लाठीचार्ज हुआ और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब राम जन्मभूमि के शास्त्रीय साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत करने की बात आई, तो चारों पीठों के शंकराचार्यों ने न्यायाधीशों के सामने नीचे की कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने पूर्वजों द्वारा राम जी का नमक खाने और वशिष्ठ गोत्र का ब्राह्मण होने का हवाला देते हुए यह जिम्मेदारी स्वीकार की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि राम जन्मभूमि का सारा कार्य बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसमें शिलान्यास, मंदिर निर्माण, लोकार्पण और प्राण प्रतिष्ठा शामिल हैं, और अब धर्म ध्वज भी फहर गया है। उन्होंने यह भी बताया कि वे कृष्ण जन्मभूमि के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। संतों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पढ़ना-लिखना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि यदि एक अक्षर भी नहीं पढ़ा तो हेलीकॉप्टर से आने या किसी भी तरह से आने का क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि वह अपनी बस से सफर करते हैं और घर-परिवार छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि संत को अभिमान नहीं करना चाहिए, शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और मस्ती में भजन करना चाहिए।
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