बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चुनाव सुधारों पर अपनी राय रखी है। सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने संसद में चल रही चर्चा के बीच तीन प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया। मायावती ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में बदलाव जरूरी हैं, लेकिन गरीबों और आम जनता के हितों का ध्यान रखा जाए। उन्होंने SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) पर टिप्पणी करते हुए कहा कि BSP इसका विरोध नहीं कर रही, लेकिन प्रक्रिया में जल्दबाजी से बचना चाहिए। SIR पर BSP का स्टैंड: समय सीमा बढ़ाने की मांग मायावती ने कहा कि पूरे देश में SIR की व्यवस्था चल रही है और BSP इसका विरोध नहीं करती। लेकिन मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया के लिए तय समय सीमा बहुत कम है। इससे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) पर भारी दबाव पड़ रहा है। कई BLO काम के बोझ से अपनी जान गंवा चुके हैं। जहां करोड़ों मतदाता हैं, वहां BLO को पर्याप्त समय मिलना चाहिए, खासकर उन राज्यों में जहां जल्द चुनाव नहीं हैं। उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यहां 15.44 करोड़ मतदाता हैं। अगर SIR का काम जल्दबाजी में किया गया तो कई वैध मतदाता, खासकर गरीब और काम की तलाश में बाहर गए लोग, सूची से बाहर रह जाएंगे। इससे बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए मतदान के संवैधानिक अधिकार से वे वंचित हो जाएंगे, जो पूरी तरह अनुचित है। इसलिए SIR प्रक्रिया में जल्दबाजी न करें और समय सीमा बढ़ाएं। आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों पर सुझाव: जिम्मेदारी उम्मीदवार पर हो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने नियम बनाए हैं। आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवारों को हलफनामे में पूरा ब्योरा देना होगा, स्थानीय अखबारों में प्रकाशित करना होगा। साथ ही, पार्टी को राष्ट्रीय अखबारों में यह जानकारी छपवानी होगी। BSP का कहना है कि अक्सर टिकट पाने वाले कुछ लोग अपना आपराधिक इतिहास पार्टी से छिपाते हैं। स्क्रूटनी के दौरान ही पता चलता है, जिससे जिम्मेदारी पार्टी पर आ जाती है। मायावती ने सुझाव दिया कि ऐसी औपचारिकताओं की जिम्मेदारी उम्मीदवारों पर ही डालें, न कि पार्टी पर। अगर कोई इतिहास छिपाता है तो कानूनी दायित्व भी उसी पर हो। बैलेट पेपर लौटाएं या VVPAT की पूरी गिनती करें मायावती ने EVM में लगातार उठ रही शिकायतों पर चिंता जताई। चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाने के लिए EVM की बजाय बैलेट पेपर से वोटिंग की व्यवस्था फिर से लागू करें। अगर यह संभव न हो तो कम से कम VVPAT की सभी स्लिप की गिनती हर बूथ पर करें और EVM वोटों से मिलान करें।चुनाव आयोग का तर्क कि इसमें समय लगेगा, बिल्कुल अनुचित है। अगर गिनती में कुछ घंटे ज्यादा लगते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि वोटिंग महीनों चलती है। इससे जनता का विश्वास बढ़ेगा और संदेह खत्म होंगे, जो देशहित में होगा।
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