प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में चार दिवसीय 151 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ बुधवार को भव्य मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ। गायत्री परिवार के तत्वावधान में निकली इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए, जिससे पूरे तीर्थ क्षेत्र में भक्ति और उत्साह का माहौल बन गया। लगभग 6 किलोमीटर लंबी इस कलश यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी, जिससे शहर की सड़कों पर जनसैलाब दिखाई दिया। यात्रा का शुभारंभ सुबह गायत्री शक्तिपीठ एवं यज्ञ स्थल से गाजे-बाजे के साथ हुआ। पीले वस्त्र धारण किए महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश लिए मंगल गीत गाए, जबकि पुरुष श्रद्धालु जयघोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे। साधु-संतों के अखाड़ों के निशान, हाथी-घोड़े, विभिन्न धार्मिक झांकियां और घोष वादन इस यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। भक्ति गीतों की गूंज से वातावरण आध्यात्मिक हो गया। यह कलश यात्रा सियाराम कुटीर, रघुवीर मंदिर और जानकी कुंड से होते हुए कामदगिरि के प्राचीन मुखारविंद से गुजरी और अंततः यज्ञ स्थल पहुंची। मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा, जलपान और आरती कर यात्रा का स्वागत किया। यज्ञशाला पहुंचने पर शांतिकुंज टोली ने मंगल गीतों से यात्रा का अभिनंदन किया और धर्मध्वजा फहराई गई। आयोजन समिति के अनुसार, इस महायज्ञ में समाज कल्याण और विश्व शांति की कामना के साथ 151 कुंडों में आहुतियां दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, 24 हजार वेदियों पर दीप प्रज्वलन भी होगा। संयोजक डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने बताया कि यज्ञ का उद्देश्य सनातन संस्कृति, नारी शक्ति संवर्धन, समरसता और पर्यावरण परिष्कार का संदेश जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चित्रकूट में किया गया जप-तप अन्य स्थानों की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी माना जाता है। इस चार दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान में यज्ञ, संस्कार और प्रवचनों का क्रम जारी रहेगा। देश-प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए गायत्री परिवार के सदस्यों और स्थानीय श्रद्धालुओं की भारी भागीदारी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया है।
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