DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ का घोटाला:भुगतान प्रणाली में बदलाव बना भ्रष्टाचार की वजह

चित्रकूट कोषागार में 43.13 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस घोटाले ने विभागीय कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। विभागीय विशेषज्ञों के अनुसार, भुगतान प्रणाली में हुए बदलाव का लाभ उठाकर अधिकारियों और कर्मचारियों ने वर्षों तक बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया, जो लंबे समय तक पकड़ में नहीं आ सकीं। विशेषज्ञों ने बताया कि पहले बैंक से किसी भी भुगतान से पहले ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) आता था। संबंधित कर्मचारी सब ट्रेजरी ऑफिसर (एसटीओ) से पुष्टि के बाद ओटीपी साझा करता था। इससे यह सुनिश्चित होता था कि भुगतान किसे, कितनी राशि और किस मद में किया जा रहा है। लगभग आठ साल पहले इस प्रक्रिया में बदलाव कर दिया गया। इसके बाद कोषागार से सीधे बैंक खातों में राशि हस्तांतरित होने लगी और बाद में कोई प्रभावी जांच नहीं की गई। इसका परिणाम यह हुआ कि गलत भुगतान और फर्जी लेनदेन आसानी से होते रहे। इस घोटाले को पकड़ने में ऑडिट व्यवस्था भी विफल रही। ऑडिट टीम के आने की सूचना विभाग को लगभग एक माह पहले ही मिल जाती थी। इससे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी-कर्मचारी पहले से तैयारी कर लेते थे। ऑडिट टीम सामान्यतः एक माह पूर्व के भुगतानों का ही परीक्षण करती थी। रैंडम चेकिंग के दौरान, शातिर लोग उस विशेष अवधि में अपने चहेतों को अवैध भुगतान नहीं करते थे, जिससे अनियमितताएं सामने नहीं आ पाती थीं। अपर निदेशक कोषागार ने बताया कि किसी भी भुगतान की प्रक्रिया तीन से चार स्तरों से होकर गुजरती है। ऐसे में आठ से बारह वर्षों तक यह घोटाला कैसे चलता रहा, यह एक गंभीर प्रश्न है। इस मामले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले ओटीपी आधारित प्रणाली होने से पारदर्शिता बनी रहती थी। इसके बंद होने के बाद यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि किसे कितनी बार और कितनी राशि भेजी गई। वर्तमान में शिकायत मिलने पर ही जांच की जाती है। मामले की जांच के लिए अपर निदेशक कोषागार विष्णुकांत द्विवेदी जिला कोषागार कार्यालय पहुंचे। उन्होंने डबल लॉक का निरीक्षण किया और घोटाले से संबंधित फाइलों की भी जांच की। उन्होंने कहा कि फाइलों के रखरखाव की व्यवस्था में बदलाव करना होगा। अब जब रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हैं, तो कागजी फाइलों पर निर्भरता कम की जानी चाहिए। उन्होंने माना कि घोटाले का दायरा बड़ा होने के कारण ही कई खाताधारकों के बैंक और सांख्यकीय विभाग लखनऊ से आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं। अब ईडी की जांच से पूरे मामले की परतें खुलने की उम्मीद है।


https://ift.tt/BCSUAPw

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *