लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की योजना एक बार फिर स्टेशन परिसर की हरियाली को नुकसान पहुंचाने जा रही है। स्टेशन अपग्रेडेशन परियोजना के तहत पार्किंग क्षेत्र में मौजूद करीब 20 पुराने वृक्षों को काटने की तैयारी की जा रही है। रेलवे की टीम ने सभी पेड़ों पर नंबरिंग कर दी है, और सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह के भीतर इनकी कटाई शुरू हो सकती है। ये पेड़ 25 से 30 साल पुराने हैं और इनमें नीम, पीपल, पाकड़ जैसे बड़े और घने छायादार वृक्ष शामिल हैं, जो स्टेशन परिसर के तापमान और पर्यावरण संतुलन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते रहे हैं। कॉन्कोर्स निर्माण के लिए हटाई जाएगी पार्किंग की हरियाली उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल चारबाग स्टेशन अपग्रेडेशन को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। इसके तहत दूसरा प्रवेशद्वार विकसित किया जा रहा है और रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) मुख्य प्रवेशद्वार की तरफ बड़े निर्माण कार्य की तैयारी कर रहा है। इंजीनियरों की टीम पहले ही साइट का सर्वे पूरा कर चुकी है। निर्माण कार्य रेल कोच रेस्टोरेंट के सामने वाली पार्किंग से शुरू होगा, जहां एक विशाल कॉन्कोर्स (छत) बनाया जाएगा। यह कॉन्कोर्स चारबाग और लखनऊ जंक्शन को आपस में जोड़ेगा। इसी निर्माण के लिए पार्किंग में स्थित सभी 20 पेड़ों को हटाने की तैयारी है। ये वही क्षेत्र है जहां पहले कैबवे निर्माण के दौरान भी कई पुराने पेड़ काटे गए थे। अब बची हुई हरियाली भी विकास कार्य की भेंट चढ़ने के कगार पर है। हरियाली घटने की चिंता, एआईक्यू पहले से खराब स्टेशन परिसर में पहले ही हरियाली सीमित है, ऐसे में पेड़ों की कटाई से वातावरण और प्रभावित होगा। इससे यात्रियों को गर्मियों में राहत देने वाले प्राकृतिक छायादार क्षेत्र भी खत्म हो जाएंगे। दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि, “जब लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार गिर रहा है और प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, ऐसे समय में पेड़ लगाने की जरूरत है, न कि काटने की।” उन्होंने रेलवे प्रशासन और परियोजना अधिकारियों से अपील की कि विकास कार्यों के साथ पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना ज़रूरी है। स्थानीय संगठनों में नाराज़गी, विकल्प तलाशने की मांग स्थानीय यात्रियों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि स्टेशन अपग्रेडेशन जरूरी है, लेकिन इसके लिए पुराने पेड़ों की बलि नहीं दी जानी चाहिए। कई संगठनों ने सुझाव दिया है कि निर्माण से पहले वैकल्पिक डिज़ाइन विकल्प तलाशे जाएं या जहां संभव हो, पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाए। चारबाग स्टेशन पर हरियाली कम होने से यात्री सुविधा पर असर पड़ सकता है और शहर के प्रदूषण स्तर पर भी दुष्प्रभाव देखने का डर है। रेलवे का आधिकारिक बयान अभी सामने नहीं आया है, लेकिन साइट पर नंबरिंग से साफ है कि तैयारी पूरी हो चुकी है। बिना अनुमति कटाई का आरोप, डीएफओ बोले—जांच होगी सबसे गंभीर बात यह सामने आई है कि चारबाग स्टेशन की पार्किंग में लगे पीपल, नीम, पाकड़ जैसे वृक्षों को काटने के लिए रेलवे प्रशासन ने आवश्यक अनुमति प्राप्त नहीं की है। लखनऊ के डीएफओ शितांशु पांडेय ने स्पष्ट कहा कि, “पुराने वृक्षों को काटने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है। बिना अनुमति पेड़ काटे जाने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई होगी। मामले की जांच कराई जाएगी।” उनके इस बयान के बाद परियोजना की प्रक्रिया को लेकर सवाल और गंभीर हो गए हैं। अब देखने वाला होगा कि जांच के दौरान पेड़ों की कटाई पर रोक लगती है या निर्माण एजेंसी किसी वैकल्पिक समाधान की ओर बढ़ती है।
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