लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान में आज शाम घृताक्षी संगीतशाला द्वारा ‘नमामि कृष्णम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में नृत्य-नाटिका के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए कर्तव्य, सत्य और कर्म के महत्व को समझाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुस्कान खत्री के नृत्य निर्देशन में हुई, जहाँ दिव्या, अरु और वंदिता सहित अन्य कलाकारों ने ‘गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु’ पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। इसके बाद रेयांशा, पूर्वी, मेधा, रश्मि, श्रद्धा, छवी, नीरज और आकृति ने ‘नीर भरन कैसे जाऊं’ और ‘मधुवन में राधिका नाची रे’ जैसे गीतों पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। कृष्ण-सुदामा चरित्र पर आधारित मनमोहक प्रस्तुति कार्यक्रम के अगले चरण में, मुस्कान खत्री ने ‘हे परमेश्वर’ पर नृत्य प्रस्तुति देकर ईश्वर की महिमा का गुणगान किया। मृदुल और अक्षय लांबा ने कृष्ण-सुदामा चरित्र पर आधारित भावाभिनय प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों कोभावविभोर कर दिया। इसके उपरांत, घृताक्षी संगीतशाला के कलाकारों ने एक लघु महाभारत नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। इस नाटिका के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रतिपादित कर्तव्य, सत्य और कर्म के महत्व को प्रभावी ढंग से समझाया गया। कार्यक्रम का समापन चित्रांश अस्थाना, मनप्रीत, अर्थव, सूर्यांश और संदीप द्वारा राग यमन में निबद्ध सरस्वती वंदना की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ। ये लोग शामिल हुए इस अवसर पर प्रो. मीरा दीक्षित, प्रमोद मिश्रा, जय किशन श्रीवास्तव, रोजी, शिवांगी और आलोक शर्मा को ‘गुरु सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उन्हें पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र भेंट किए गए। कार्यक्रम में सतेन्द्र आर्या, मुस्कान खत्री, पंडित आदित्य द्विवेदी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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