उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा के वैश्विक मानचित्र पर अपनी पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर है। ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी भारत में अपना पहला विदेशी कैंपस ग्रेटर नोएडा में खोलने जा रही है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इसके लिए 40,000 वर्ग फुट भूमि लीज पर उपलब्ध कराई है। यह कदम राज्य को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा और नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस समझौते पर मंगलवार को नई दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और भारत के उच्च शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स के भीतर विकसित किए जाने वाले इस कैंपस में पहले चरण में बिजनेस एनालिटिक्स, मार्केटिंग, डेटा साइंस, सस्टेनेबल वॉटर फ्यूचर्स और एग्रीकल्चर जैसे प्रमुख पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। दूसरे चरण में इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप और सप्लाई चेन मैनेजमेंट जैसे भविष्य-उन्मुख कार्यक्रम जोड़े जाएंगे। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में यह पहली बार है कि कोई विदेशी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में आ रहा है। उन्होंने कहा कि वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी एक बड़ा संस्थान है, जिसमें 50,000 छात्र और लगभग 2 लाख वर्ग फुट की अत्याधुनिक सुविधाएँ हैं। वर्तमान में इसमें लगभग 1,200 भारतीय छात्र भी अध्ययनरत हैं। श्रीवास्तव ने आगे कहा कि भारत 2040 तक दुनिया का सबसे युवा राष्ट्र बनेगा और उत्तर प्रदेश उसकी सबसे युवा आबादी का केंद्र होगा। ऐसे में युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा उपलब्ध कराना आवश्यक है, और यह कैंपस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने जानकारी दी कि प्रारंभिक प्रक्रियाएँ अगले दो महीनों में पूरी कर ली जाएँगी और सितंबर 2026 से ग्रेटर नोएडा में शिक्षण कार्य शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। विश्वविद्यालय एआई, एविएशन, हॉर्टिकल्चर, कृषि और वॉटर रिसोर्सेज जैसे विषयों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है और इन क्षेत्रों में गहन पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
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