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गोरखपुर RMRC विकसित करेगा पोर्टेबल डिवाइस:2 घंटे में मिलेगी रिपोर्ट, 250 रुपये होंगे खर्च

गोरखपुर में डेंगू जांच अब तेज, सटीक और सस्ती होने जा रही है। ICMR के क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (RMRC) ने पोर्टेबल माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस विकसित करने की योजना बनाई है। इस डिवाइस से मरीज को मात्र दो से ढाई घंटे में जांच रिपोर्ट मिलेगी और जांच का खर्च सिर्फ 250 से 300 रुपये रहेगा। इसे कहीं भी ले जाकर प्रयोग किया जा सकेगा, जिससे दूरदराज़ और ग्रामीण इलाकों में भी जांच की सुविधा उपलब्ध होगी। दरअसल, डेंगू वायरस के चार अलग-अलग सीरो-टाइप्स होते हैं, जिनमें से कुछ गंभीर मामलों से अधिक जुड़े होते हैं। इसलिए ऐसी जांच आवश्यक है जो संक्रमण की पुष्टि के साथ यह भी बता सके कि कौन सा सीरो-टाइप मौजूद है। वर्तमान में रियल टाइम पीसीआर आधारित एलाइजा किट का उपयोग होता है, जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपये होती है और इसके लिए उच्च स्तरीय प्रयोगशाला की जरूरत होती है। यही कारण है कि हर जगह जांच उपलब्ध नहीं हो पाती। राष्ट्रीय स्तर पर गोरखपुर का प्रस्ताव हुआ द्वितीय स्थान पर देशभर से प्राप्त 27 प्रस्तावों में RMRC गोरखपुर का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ और इसे राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान मिला। प्रो. (डा.) हरि शंकर जोशी के नेतृत्व में उनकी टीम ने ‘थ्रीडी प्रिंटेड इंटीग्रेटेड माइक्रोफ्लूडिक डिवाइस फॉर मल्टीप्लेक्स डिटेक्शन ऑफ पैन डेंगू सीरोटाइप्स’ शीर्षक से प्रस्ताव तैयार किया। यह डिवाइस किफायती, तेज और पोर्टेबल होगा और देश के दूरस्थ तथा संसाधन-न्यूनतम क्षेत्रों में डेंगू निदान और सर्विलांस को मजबूती देगा। डिवाइस निर्माण प्रक्रिया का होगा पेटेंट RMRC ने इस डिवाइस बनाने की प्रक्रिया का सात महीने पहले ही पेटेंट करा लिया था। केंद्र सरकार ने डिवाइस निर्माण के लिए चार करोड़ रुपये का बजट जारी किया है और इसे दो साल में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस डिवाइस से एक ही परीक्षण में डेंगू संक्रमण और वायरस के सीरो-टाइप की पहचान की जा सकेगी, जिससे समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।


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