गोरखपुर में कला, विमर्श और संगीत के शानदार संगम के साथ ‘गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल’ का आठवां एडिशन रविवार को अपनी अमिट यादें छोड़ते हुए संपन्न हो गया। दूसरे दिन का सत्र न केवल वैचारिक बहसों के नाम रहा, बल्कि शास्त्रीय नृत्य और गजलों की मखमली आवाज ने शहरवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘नवोत्पल’ में गूंजी युवाओं की आवाज पहले सत्र में युवा कवि प्रत्यूषा श्रीवास्तव, अचिन्त्य मिश्र, सव्यसाची, आदर्श कौशिक और वसुंधरा वासू ने एक के बाद एक अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। कविताओं में जीवन के अनुभव, समय की बेचैनी, प्रेम, संघर्ष और उम्मीद के स्वर सुनाई दिए, जिन पर श्रोताओं ने तालियों के साथ प्रतिक्रिया दी। सत्र का स्वरूप कवि सम्मेलन जैसा रहा, जिसमें रचनाओं की प्रस्तुति के साथ भावनात्मक संवाद भी बना रहा। साहित्य सत्र में लेखकों ने सांझा किए अनुभव वहीं दूसरा सत्र साहित्यिक चर्चा से परिपूर्ण रहा। इस सत्र में इरा टॉक, यशवंत व्यास, सुनील द्विवेदी जैसे साहित्यिक लेखकों अपने अनुभव सांझा किए। साहित्य के सफर पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया जब उन्होंने साहित्य की दुनिया चुनी तो उस समय क्या अनुभव किया। इस दौरान लेखिका इरा टॉक कहा कि मैं पहली बार गोरखपुर आयी हूं, लेकिन मेरा रिश्ता गोरखपुर से मेरे जन्म से पहले का है, क्योंकि मेरी मां ने यहां अध्यापन का कार्य किया। पक्ष, विपक्ष या जनता कौन तय करता देश का मुद्दा राजनितिक सत्र बेहद ही रोमांचक रहा, जहां पक्ष और विपक्ष के बीच देश के मुद्दों को लेकर गरम चर्चा देखने को मिला। इस सत्र में उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी और कांग्रेस लीडर यशस्विनी सहाय ने वर्तमान राजनीति में जनता की भूमिका पर विमर्श किया। इस दौरान डॉ. सतीश द्विवेदी ने अपनी बात रखते हए कहा कि भारतीय लोकतंत्र बेहद परिपक्व है, जहां मुद्दे हमेशा जनता ही तय करती है। जो जनता के बीच में रहेगा वहीं जनता का विश्वास जीतेगा शेष अन्य मुद्दे आते-जाते रहेंगे। लोकतंत्र में सरकार को घेरना विपक्ष की जिम्मेदारी
वहीं यशस्विनी सहाय ने कहा कि विपक्ष के तौर पर हमारा आर्थिक दृष्टि से मत यह रहता है कि केवल कॉरपोरेट को लाभ न मिले बल्कि छोटे और मझोले उद्योगों को भी लाभ हो और किसी एक को ही फायदा न पहुंचे बल्कि सबको पहुंचे। लोकतंत्र में सरकार को घेरना विपक्ष की जिम्मेदारी होती है जो कि बतौर विपक्ष हम निभा रहे हैं। सुरेंद्र मोहन पाठक से हुई ‘गुफ्तगू’ फेस्ट के ‘गुफ्तगू’ सत्र में साहित्यकार सुरेंद्र मोहन पाठक ने अपने साहित्यिक अनुभव को दर्शकों तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि कहानी पहले पैराग्राफ से शुरू हो जानी चाहिए। पाठक को बांधकर रखना कहानी का मूल होना चाहिए। छोटे चरित्र भी महत्वपूर्ण और प्रभावी होंगे तभी वह पाठक को प्रभावित करेंगे। उन्होंने कहा कि लेखक की सोच उसके चरित्रों में भी झलकती ही है। लेकिन ऐसे लेखक भी हैं, जो दूर की सोच रखते हैं और पूरे ऑब्जेक्टिव हो कर जो कभी नहीं देखा और जाना उसको भी रच डालते हैं। प्राइड ऑफ गोरखपुर अवॉर्ड से किया सम्मानित इस फेस्ट के छठवें सत्र में स्व. पी.के. लाहिड़ी स्मृति प्राइड ऑफ गोरखपुर अवार्ड्स समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर चिकित्सा, साहित्य और कृषि के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट योगदान देने वाली तीन प्रतिष्ठित विभूतियों को प्राइड ऑफ गोरखपुर अवार्ड से सम्मानित किया गया। समारोह में ख्यातिप्राप्त कार्डियोलॉजिस्ट पद्मश्री डॉ. प्रवीन चंद्रा, साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री रामचेत चौधरी को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके-अपने क्षेत्रों में दीर्घकालिक, नवाचारी और समाजोपयोगी कार्यों के लिए प्रदान किया गया। कथक नृत्य ने उत्सव में चार चांद लगाया इस समारोह की शाम बेहद ही रंगीन रही। शुरुआत गोरखपुर कथक केन्द्र की नृत्यांगनाओं द्वारा कथक नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति की गई। गणेश वंदना से शुरू हुआ कार्यक्रम “हनुमान लला मेरे प्यारे लला” और अन्य भक्ति गीतों पर नृत्य से होता हुआ शास्त्रीय कथक नृत्य तक पहुंचा। अंतिम प्रस्तुति कृष्ण भक्ति से सराबोर विरह गीत “शाम ढले पर श्याम न आए, विरह की पीड़ा कही ना जाए” पर नृत्य की रही। जिसको दर्शकों ने खूब सराहा। इन प्रस्तुतियों के लिए कलाकारों का निर्देशन विनोद गंगानी ने किया। गजल संध्या में मची धूम इस प्रोग्राम में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहा अंतिम सत्र। गजल संध्या ‘शाम-ए-सुकून, शाम-ए-गजल’ ऑडियंस के लिए यादगार बन गई। इस विशेष सत्र में प्रसिद्ध गजल गायक और आईएएस अधिकारी डॉ. हरिओम ने अपनी सधी हुई गायकी और भावपूर्ण प्रस्तुति से समां बांध दिया। उनकी गजलों ने श्रोताओं को शांति, संवेदना और सौंदर्य के भाव से सराबोर कर दिया। सबसे पहले गणेश वंदना “गाइए गणपति जगवंदन” से हरिओम ने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत की। खुद की रचना “मैं तेरे प्यार का मारा हुआ हूं, सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं..” की उनकी प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। क्लासिक गजल “तुम को देखा तो खयाल आया” गा कर उन्होंने खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद उन्होंने राग यमन में ख़ुद की कंपोज की हुई गजल ” दिल दीवाना तेरे नगमे गाता है, जाने कैसे कैसे ख्वाब दिखाता है..” सुनाई। जिसको तालियों की गड़गड़ाहट से खूब सराहना मिली। दर्शकों यह शाम खूब एन्जॉय किया और गजलों पर झूमते और गुनगुनाते नजर आए। युवा रचनाकारों को किया गया पुरस्कृत दो दिवसीय गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के आठवें संस्करण के दूसरे दिन डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव नवाब स्मृति युवा रचनाकार प्रतियोगिता 2025 के विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। विभिन्न आयु वर्गों और विधाओं में आयोजित इस प्रतियोगिता में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के युवा रचनाकारों ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा का प्रभावी प्रदर्शन किया। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विजेता रहें। कार्टून कलाकारों का हुआ सम्मान इसके अलावा स्व. राजीव केतन स्मृति कार्टून प्रतियोगिता के प्रतिभाशाली प्रतिभागियों को उनके रचनात्मक कौशल के लिए सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता में युवाओं और वरिष्ठ वर्ग के कार्टून कलाकारों ने सामाजिक, सांस्कृतिक और समकालीन विषयों पर अपनी प्रभावशाली रचनाएं प्रस्तुत की थीं।
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