गोरखपुर में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और श्रम संहिता के विरोध में देश की 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने फरवरी में राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का फैसला लिया है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के विरोध में आंदोलन को और तेज करने की तैयारी शुरू हो गई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि आगामी 1 जनवरी से राज्यभर में चरणबद्ध आंदोलन शुरू होगा और इसके लिए कर्मियों ने व्यापक जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों का संयुक्त निर्णय दिल्ली में हुई बैठक में 10 ट्रेड यूनियनों ने श्रम संहिता और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को कर्मचारी हितों के प्रतिकूल बताते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के साथ राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर सहमति बनाई। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के अनुसार हड़ताल की तिथि तय करने के लिए 22 दिसम्बर को अगली बैठक बुलाई गई है। बैठक में एटक, इंटक, सीटू, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी के प्रतिनिधि शामिल रहे। उत्तर प्रदेश में आंदोलन की तैयारी तेज समिति ने बताया कि बिजली निजीकरण के विरोध में प्रदेश में पिछले एक वर्ष से अधिक समय से विरोध जारी है और बुधवार को यह आंदोलन 378वें दिन में प्रवेश कर गया। इसी क्रम में 01 जनवरी से शुरू होने वाले कार्यक्रम के लिए प्रदेशभर के बिजली कर्मियों ने संवाद और जनसंपर्क बढ़ाया है, जिसमें सभी जनपदों के कर्मचारी शामिल हैं। 14 दिसंबर को होगी राष्ट्रीय बैठक विरोध रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए 14 दिसंबर को नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स की बैठक होगी। बैठक में उत्तर प्रदेश की ओर से संघर्ष समिति के संयोजक और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे शामिल होंगे। समिति ने बताया कि इस बैठक में राष्ट्रव्यापी आंदोलन के स्वरूप और आगे की कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी।
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