गोरखपुर में बिजली के निजीकरण, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2025, स्मार्ट प्रीपेड मीटर और न्यूक्लियर एक्ट के विरोध में प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मचारियों, ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। यह कार्यक्रम नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। लखनऊ में ज्ञापन, केंद्र और राज्य सरकार तक मांगें
राजधानी लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन, उप्र., एटक, सीटू, एचएमएस, इंटक, एआईयूटीयूसी सहित ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपर श्रम आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को संबोधित रहा, जिसमें प्रस्तावित नीतियों पर पुनर्विचार की मांग की गई। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2025 के जरिए विद्युत वितरण क्षेत्र में निजी कंपनियों को सरकारी नेटवर्क के उपयोग की छूट देकर मुनाफे वाले क्षेत्रों तक सीमित आपूर्ति की संभावना बनेगी। इससे कृषि और गरीब उपभोक्ताओं वाले क्षेत्र सरकारी वितरण कंपनियों पर ही रह जाएंगे। जिससे उनकी वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। बिल में सब्सिडी व्यवस्था में बदलाव की बात कही गई है, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ने की आशंका जताई गई। पूर्वांचल-दक्षिणांचल के जनपदों पर प्रभाव की चेतावनी
संघर्ष समिति के अनुसार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत प्रदेश के 42 जनपद आते हैं, जहां बड़ी संख्या में कम आय वर्ग के उपभोक्ता हैं। निजीकरण की स्थिति में इन क्षेत्रों पर सीधा असर पड़ने की बात कही गई। उपभोक्ताओं की सहमति के बिना स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने पर भी आपत्ति जताई गई और इसे उपभोक्ता हितों से जुड़ा मुद्दा बताया गया। निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 392वें दिन प्रदेशभर में सभी जनपदों में बिजली कर्मियों ने किसानों और ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को दोहराया।
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