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गोरखपुर में बिजली निजीकरण के फैसले पर उठे सवाल:घाटे के आंकड़ों को बताया भ्रामक, फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग

गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि घाटे के भ्रामक और गलत आंकड़ों के आधार पर पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाए। समिति ने ऊर्जा निगमों में स्थिरता और बेहतर कार्य वातावरण बनाए जाने की मांग की है। संघर्ष समिति का कहना है कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये का जो घाटा दर्शाया जा रहा है, वह वास्तविक नहीं है। इस राशि में 22 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी और सरकारी विभागों से मिलने वाली राजस्व राशि को भी घाटे में जोड़ दिया गया है, जो पूरी तरह गलत है। राजस्व वसूली होने पर घाटे का दावा खत्म समिति ने कहा कि उपभोक्ताओं से एक लाख 15 हजार करोड़ रुपये की वसूली अभी शेष है। यदि यह राशि वसूल कर ली जाए तो पावर कॉरपोरेशन घाटे में नहीं रहेगा। इसके लिए नए पद सृजित करना जरूरी है, लेकिन इसके उलट पुनर्गठन के नाम पर बड़े पैमाने पर पद समाप्त किए जा रहे हैं, जिससे वसूली व्यवस्था कमजोर हो रही है। टैरिफ आदेश से सरप्लस की पुष्टि संघर्ष समिति ने बताया कि विद्युत नियामक आयोग के हालिया टैरिफ आदेश में यह सामने आया है कि 1 अप्रैल 2025 को पावर कॉरपोरेशन के पास सरप्लस धनराशि मौजूद थी। इसी कारण घरेलू उपभोक्ताओं के टैरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। इससे घाटे के दावों पर सवाल खड़े होते हैं। केस्को मॉडल की चेयरमैन ने की सराहना समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि हाल में हुई समीक्षा बैठक में पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने केस्को में हुए सुधारों की सराहना की और बिजली चोरी रोकने तथा लाइन हानियां कम करने के लिए केस्को मॉडल से सीख लेने की बात कही। आगरा फ्रेंचाइजी करार रद्द करने की मांग
संघर्ष समिति ने बताया कि वर्ष 2009 में केस्को और आगरा, दोनों शहरों में एक साथ फ्रेंचाइजी व्यवस्था लागू की गई थी। वर्तमान में केस्को में लाइन हानियां कम हैं और प्रति यूनिट बिजली बिक्री पर सात रुपये से अधिक राजस्व मिल रहा है, जबकि आगरा फ्रेंचाइजी से प्रति यूनिट केवल 4.36 रुपये का राजस्व मिल रहा है। ऐसे में घाटे का हवाला देकर निजीकरण की बात करना गलत है और आगरा का फ्रेंचाइजी करार तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर में प्रदर्शन
पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 388वें दिन शनिवार को प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखा।


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