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गोरखपुर में बिजली निजीकरण विवाद और गहराया:बिजली कर्मियों पर कार्रवाई से ऊर्जा निगमों में बढ़ा आक्रोश, सीएम से हस्तक्षेप की मांग

गोरखपुर में निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की कार्रवाई से बिजली कर्मचारियों में नाराज़गी बढ़ गई है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे कर्मियों पर अनावश्यक दवाब और कार्रवाई कर कार्यस्थल का माहौल बिगाड़ दिया गया है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के एकतरफा फैसले का विरोध कर रहे बिजली कर्मचारियों को बिना कारण उत्पीड़ित किया जा रहा है। उनका आरोप है कि पिछले एक साल से शांतिपूर्वक आंदोलनरत कर्मियों को नोटिस, चेतावनी और विभिन्न प्रशासनिक कार्रवाइयों से परेशान किया जा रहा है। सीएम के हस्तक्षेप की मांग समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण का फैसला निरस्त कराने और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन को कर्मचारियों पर की जा रही सभी उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों को रोकने के निर्देश देने की मांग की है। समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों को मुख्यमंत्री पर भरोसा है और उनके नेतृत्व में सुधार होते रहे हैं। बिना टैरिफ बढ़ोतरी छह साल चले सुधार समिति के अनुसार, पिछले साल आंदोलन के दौरान भी कर्मचारियों ने भीषण गर्मी में 31,618 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर रिकॉर्ड बनाया। लगातार सुधार के कारण यूपी में पिछले छह वर्षों से बिजली टैरिफ बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी है। इसके बावजूद प्रबंधन कर्मियों के मनोबल को गिराने वाली कार्रवाई कर रहा है। संविदा कर्मियों की छंटनी, ट्रांसफर- एफआईआर पर आपत्ति समिति ने आरोप लगाया कि हजारों संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, शीर्ष पदाधिकारियों पर विजिलेंस जांच और झूठी एफआईआर की कार्रवाई हुई, और कार्यालय समय के बाद सभा में शामिल होने वाले कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर ट्रांसफर किया गया। महिलाओं को भी दूरस्थ स्थानों पर भेजे जाने का आरोप लगाया गया है। 87 अभियंताओं की पदोन्नति रोकने पर सबसे ज्यादा विरोध नवीनतम विवाद उस कार्रवाई को लेकर है जिसमें 87 अभियंताओं की पदोन्नति सिर्फ इसलिए रोक दी गई क्योंकि वे कार्यालय समय के बाद हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल नहीं हो सके। समिति ने इसे “मनमानी की हद” बताया है। ऊर्जा निगमों में बढ़ रहा नाराज़गी का माहौलसमिति ने चेतावनी दी है कि कार्यालय समय के बाद की गतिविधियों के आधार पर की जा रही कार्रवाई से कर्मचारियों में व्यापक गुस्सा है और इसके परिणामों की जिम्मेदारी पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की होगी। निजीकरण के विरोध में लगातार चल रहे आंदोलन के 362वें दिन सोमवार को गोरखपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया और संघर्ष जारी रखने का एलान किया।


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