गोरखपुर में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में पिछले एक वर्ष से चल रहा आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि आंदोलन की रूपरेखा को और मजबूत करने के लिए 07 दिसंबर को लखनऊ में बड़ी बैठक बुलाई गई है। इसी बैठक में आगे की कार्रवाई और आंदोलन के नए कार्यक्रम घोषित किए जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने भी बिजली निजीकरण, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 और प्रीपेड मीटर के विरोध में मोर्चा तेज कर दिया है। किसान मजदूर मोर्चा 05 दिसंबर को और संयुक्त किसान मोर्चा 08 दिसंबर को प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगा। राज्यभर के संयोजक और केंद्रीय पदाधिकारी शामिल होंगे संघर्ष समिति के पदाधिकारी-पुष्पेंद्र सिंह, जीवेश नंदन, जितेंद्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया-ने बताया कि 07 दिसंबर की लखनऊ बैठक में प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं के संयोजक और सह-संयोजक शामिल होंगे। समिति के सभी शीर्ष केंद्रीय पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे। एक वर्ष के आंदोलन की समीक्षा और नई रणनीति पर फोकस बैठक में अब तक हुए आंदोलन की समीक्षा की जाएगी। साथ ही निजीकरण निरस्त कराने, कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई समाप्त करने तथा प्रबंधन की नीतियों पर 대응 की रणनीति तय की जाएगी। प्रबंधन पर ‘अघोषित आपातकाल’ का लगाया आरोप समिति ने आरोप लगाया कि बीते एक वर्ष में प्रबंधन ने अनेक उत्पीड़नात्मक कदम उठाए हैं- • 25 हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों को नौकरी से बाहर किया गया • हजारों कर्मियों का दूरस्थ जिलों में तबादला • फेशियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोका गया • पदाधिकारियों पर फर्जी एफआईआर दर्ज हुई • पेंशनरों और कर्मचारियों के घरों पर जबरन प्रीपेड मीटर लगाने की कोशिश • रियायती बिजली सुविधा खत्म करने का प्रयास • रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर हजारों पद समाप्त समिति ने कहा कि यह सभी कदम ऊर्जा निगमों में ‘अघोषित आपातकाल’ जैसा माहौल बनाते हैं।
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