गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि आगामी 30 नवम्बर को लखनऊ में सभी जनपदों के संयोजकों की बैठक होगी। बैठक में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आगे की रणनीति और आंदोलन को तेज करने के कदम तय किए जाएंगे। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 27 नवम्बर को प्रदेश के सभी जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण हेतु मई 2025 में तैयार आरएफपी डॉक्यूमेंट में निगमों के घाटे को बढ़ाकर दिखाया गया था। विद्युत नियामक आयोग ने इस दस्तावेज़ के आंकड़ों को अस्वीकृत कर दिया है। इसके बाद यह डॉक्यूमेंट अप्रासंगिक हो गया और समिति ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है। वास्तविक डिस्ट्रीब्यूशन लॉस और निगमों के लक्ष्य विद्युत नियामक आयोग के अनुसार, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का वास्तविक डिस्ट्रीब्यूशन लॉस 15.53 प्रतिशत और पूर्वांचल निगम का 16.23 प्रतिशत है। आयोग ने 2029-30 तक दक्षिणांचल निगम की लाइन हानियों को 11.83 प्रतिशत और पूर्वांचल की 11.95 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य दिया है। समिति ने कहा कि कर्मी पूरी मेहनत और समर्पण से इस लक्ष्य को पूरा करने में जुटे हैं। कर्मियों ने जन संपर्क कर प्रदर्शन की तैयारी की संघर्ष समिति के आह्वान पर अवकाश के दिन बिजली कर्मियों ने सभी जनपदों में कर्मचारियों से व्यापक संपर्क किया। समिति ने स्पष्ट किया कि निजीकरण का विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और उत्पीड़नात्मक कार्यवाही वापस नहीं ली जाती। समिति ने कहा कि ऊर्जा निगमों में काम करने का माहौल बिगाड़ने वाले किसी भी कदम को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। कर्मचारियों ने आंदोलन के माध्यम से अपने हक की रक्षा करने का संकल्प दोहराया।
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