गोरखपुर में चल रहा गोड़धोइया नाला निर्माण एक परिवार की जिंदगी पर भारी पड़ गया है। शाहपुर इलाके के शिवपुर सहबाजगंज के जिस घर में सालों से हंसी-खुशी और सुरक्षा का एहसास था, आज वही घर हर पल डर पैदा कर रहा है। नाला निर्माण के दौरान हुए कार्यों से मकान को गंभीर नुकसान पहुंचा है और परिवार हर पल इस डर में जी रहा है कि कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए। पीड़ित मकान मालिक प्रदीप कुमार का कहना है कि उनका मकान करीब 23 साल पुराना है। यही उनका एकमात्र आशियाना है और इसी में उनके परिवार की पूरी जिंदगी बसी हुई है। बच्चों का भविष्य, बुजुर्गों की छांव और सालों की मेहनत की कमाई इसी घर से जुड़ी है। नाला निर्माण शुरू होने से पहले तक मकान पूरी तरह सुरक्षित था, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। लगातार कंपन से मकान की नींव हुई कमजोर परिवार का कहना है कि मकान के ठीक सामने सड़क किनारे नाला निर्माण के लिए काफी गहराई तक खुदाई की गई थी। पानी निकासी के लिए बड़ी पाइपलाइन डाली गई, जिससे सड़क कमजोर हो गई। सड़क के कमजोर होने का सीधा असर मकान की नींव पर पड़ा और धीरे-धीरे घर की पकड़ ढीली होने लगी। वहीं दूसरी तरफ नाला निर्माण के दौरान घर के सामने से जेसीबी, मिक्सर मशीन और भारी ट्रकों की आवाजाही दिन-रात हो रही है। परिवार का कहना है कि जिसके कारण घर के अंदर लगातार कंपन महसूस होता है। कई बार ऐसा लगा जैसे पूरा मकान हिल रहा हो। यह कंपन धीरे-धीरे घर की दीवारों और छत को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। दीवारों और छत पर पड़ी गहरी दरारें लगातार कंपन का नतीजा यह हुआ कि मकान के कमरों, बरामदे और किचन की दीवारों व छत में कई जगह गहरी दरारें पड़ गईं। कुछ हिस्सों में छत और दीवार का प्लास्टर टूटकर नीचे गिरने लगा है। दरारें अब इतनी बढ़ चुकी हैं कि मकान की हालत देखकर किसी भी समय बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। परिवार के लोग बताते हैं कि अब घर के अंदर रहना भी सुरक्षित नहीं लगता। जरा-सी आवाज या हल्के कंपन पर सभी सहम जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के चेहरे पर डर साफ नजर आता है। रातें जागकर कट रही हैं, क्योंकि सोते समय भी यही डर सताता है कि कहीं मकान अचानक ढह न जाए। यही एक घर- टूटा तो सब कुछ खत्म पीड़ित परिवार का कहना है कि उनके पास रहने के लिए यही एक मकान है। अगर यह घर गिर गया या रहने लायक नहीं बचा, तो वे पूरी तरह बेघर हो जाएंगे। न तो उनके पास कोई दूसरा ठिकाना है और न ही दोबारा घर बनाने की आर्थिक क्षमता। यह मकान टूटने का मतलब उनके पूरे भविष्य का टूटना है। मकान मालिक प्रदीप कुमार निगम ने बताया कि नाला निर्माण से हुए नुकसान की शिकायत उन्होंने प्रशासन से की थी। मौके पर जांच भी हुई, लेकिन इसके बावजूद अब तक न तो मकान की मरम्मत कराई गई और न ही किसी तरह का मुआवजा दिया गया। परिवार का आरोप है कि उनकी परेशानी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। हर गुजरता दिन बढ़ा रहा है खतरा परिवार का कहना है कि समय के साथ मकान की हालत और खराब होती जा रही है। दरारें बढ़ रही हैं और प्लास्टर गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हर दिन यह डर और गहरा होता जा रहा है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। पीड़ित परिवार ने मांग की है कि गोड़धोइया नाला निर्माण से हुए नुकसान का निष्पक्ष और तकनीकी आकलन कराया जाए और उन्हें मुआवजा दिया जाए, ताकि मकान की मरम्मत कराकर परिवार की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। परिवार का साफ कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो किसी बड़े हादसे की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल हो जाएगा।
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