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गोरखपुर में चांद के करीब दिखेंगी ‘सात बहनें’:कृतिका नक्षत्र में दिखेगा दुर्लभ तारापुंज का खास संयोग

गोरखपुर में साल 2025 की विदाई पर आज रात आसमान में एक दुर्लभ और आकर्षक खगोलीय दृश्य नजर आएगा। इस दिन चांद, प्लियेड्स (एम-45) तारापुंज के बेहद करीब दिखाई देगा। भारतीय खगोल परंपरा में इसे कृतिका नक्षत्र और आम भाषा में ‘सात बहनें’ कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ेगा, यह दृश्य और साफ होता जाएगा। खास बात यह है कि चांद की तेज रोशनी के बावजूद कृतिका नक्षत्र के नीले-सफेद तारे नंगी आंखों से देखे जा सकेंगे। हालांकि दूरबीन या बाइनाकुलर से देखने पर तारों की चमक और संख्या दोनों कहीं अधिक स्पष्ट नजर आएंगी। खगोल प्रेमियों के लिए यह शाम खास तौर पर यादगार रहने वाली है। खगोल विज्ञान में ‘करीब से गुजरने’ की घटना वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार खगोल विज्ञान की भाषा में इस तरह की स्थिति को ‘करीब से गुजरना’ कहा जाता है। भारत में यह घटना पूर्ण रूप से छुपने यानी ऑक्ल्टेशन की नहीं होगी। 31 दिसंबर की शाम और रात के दौरान चांद और प्लियेड्स के बीच की दूरी लगभग 55.4 आर्कमिनट रहेगी। यह पूरा खगोलीय दृश्य वृषभ (टॉरस) नक्षत्र क्षेत्र में देखा जा सकेगा। शहर की रोशनी से दूर खुले स्थानों पर यह नजारा और बेहतर दिखाई देगा। साफ आसमान होने पर गोरखपुर और आसपास के इलाकों में लोग इसे आसानी से देख सकेंगे। नंगी आंखों से 6-7, दूरबीन से 300 से ज्यादा तारे खगोलविद अमर पाल के मुताबिक सामान्य तौर पर नंगी आंखों से कृतिका पुंज के छह या सात तारे साफ नजर आते हैं। कुछ तेज दृष्टि वाले लोग 12 से 14 तारे देखने का दावा भी करते हैं। वहीं, शक्तिशाली दूरबीन से देखने पर इस तारापुंज में 300 से अधिक तारे देखे जा सकते हैं। कृतिका तारापुंज पृथ्वी से करीब 400 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इसके प्रमुख तारे अति तप्त श्वेत दानव श्रेणी के हैं, जिनका सतही तापमान 15 हजार डिग्री सेल्सियस से भी अधिक बताया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह तारापुंज अध्ययन के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 88 प्रतिशत प्रकाशित रहेगा चांद
इस दौरान चांद लगभग 88 प्रतिशत प्रकाशित रहेगा। तेज चंद्र प्रकाश के कारण प्लियेड्स को नंगी आंखों से देखने में कुछ हद तक परेशानी हो सकती है, लेकिन सही दिशा और खुले आसमान में यह दृश्य साफ नजर आने की संभावना है। सूर्यास्त के कुछ समय बाद से देर रात तक इसे देखा जा सकेगा। खगोलविद अमर पाल का कहना है कि साल के आखिरी दिन इस तरह का खगोलीय संयोग मिलना खास है। गोरखपुर के लोगों के लिए यह अवसर है कि वे वर्ष 2025 को विदाई देते हुए खुले आसमान के नीचे खड़े होकर ब्रह्मांड के इस सुंदर दृश्य का आनंद लें।


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