गोरखपुर में पहली बार निजी सेक्टर की ओर से इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित की जाएगी। खिचड़ी तक इन्हें लांच करने की तैयारी है। अब तक यह जिम्मा गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ही निभा रहा था। प्राधिकरण के अलावा जो भी कालोनियां यहां विकसित की जा रही थीं, वो अवैध थीं। उन कालोनियों में सड़क भले ही नजर आती रही हो लेकिन उसका तलपट मानचित्र अधिकृत नहीं होता था। यहां जमीन लेने के बाद लोगों को परेशान भी होना पड़ता था। गोरखपुर के विकास के साथ ही निजी क्षेत्र ने यहां निवेश शुरू किया है। ये तीनों टाउनशिप गेटेड होंगी यानी चारो ओर से चहारदिवारी से सुरक्षित किए जाएंगे। इन कालोनियों के आने के बाद अल्पआय वर्ग के जरूरतमंद लोगों को भी काफी सहुलियत होगी। निजी क्षेत्र की कंपनी ओमेक्स, ऐश्प्रा समूह एवं जीत एसोसिएट्स की ओर से ये टाउनशिप विकसित किए जाएंगे। ओमेक्स की ओर से सोनौली मार्ग पर ताल जहदा के पास लगभग 120 एकड़ में निजी कालोनी विकसित किया जा रहा है। इसी तरह ऐश्प्रा समूह की ओर से देवरिया बाईपास से निकट ताल कंदला में 75 एकड़ में इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित की जाएगी। जीत एसोसिएट्स की ओर से रामनगर कड़जहा में लगभग 46 एकड़ में इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित की जा रही है। सभी को जारी हो चुका है लाइसेंस तीनों इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लिए तीनों कंपनियों को लाइसेंस जारी किया जा चुका है। अब उनकी ओर से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा की जाएगी। उसके बाद लेआउट बनाकर जमा किया जाएगा। उसके साथ ही रेरा से अनुमोदन मिलते ही इनकी लांचिंग की भी तैयारी है। तीनों कालोनियों को मिला दें तो 241 एकड़ में ये कालोनियां विकसित की जा रही हैं। डीपीआर बनने के बाद ही यहां की दरें सार्वजनिक हो सकेंगी। GDA में बैठक कर जानी गई प्रगति GDA में तीनों कंपनियों के साथ सोमवार को बैठक की गई। विशेष कार्याधिकारी प्रखर उत्तम ने बैठक कर उनसे परियोजना के बारे में जानकारी ली। ओमेक्स के प्रतिनिधि की ओर से बताया गया कि एक सप्ताह में उनकी ओर से डीपीआर दाखिल कर दिया जाएगा। उसके बाद नए साल में खिचड़ी तक योजना को लांच कर देंगे। इसी तरह ऐश्प्रा व जीत एसोसिएट्स की ओर से भी खिचड़ी तक डीपीआर जमा करने के साथ योजना लांच करने का भरोसा दिया गया है। जीत एसोसिएट्स की ओर से कंपनी के एमडी दीपक सिंह, ओमेक्स की ओर से कंपनी के महाप्रबंधक आशीष उपाध्याय मौजूद रहे। अब जानिए क्या सुविधाएं होंगी
इंटीग्रेटेड टाउनशिप में सभी तरह की सुविधाएं मौजूद होती हैं। यह पूरी तरह से गेटेड कालोनी होगी। इसमें आवासीय के साथ ही कामर्शियल गतिविधियों के लिए भी जगह होगी। साथ की स्कूल और अस्पताल की सुविधा भी मिलेगी। पर्याप्त पार्क एवं ग्रीनरी भी होगी। मानक के मुताबिक सड़कें, नालियां व बिजली की व्यवस्था की जाएगी। डीपीआर जमा होने के साथ ही यह तय हो जाएगा कि किस कंपनी की ओर से कितनी जमीन खरीद ली गई है। कंपनी को लैंडयूज चेंज कराने में सहूलियत भी मिल जाती है। साथ ही यदि कोई सरकारी जमीन भी बीच में आती है तो उसे बदलने की प्रक्रिया भी मिल जाती है। स्टांप मे भी छूट का प्रविधान है। जरूरतमंदों को कैसे मिलेगा लाभ
किसी भी निजी कालोनी को विकसित करते समय लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा ईडब्ल्यूएस एवं एलआईजी श्रेणी के लोगों के लिए सुरक्षित करना होता है। इन कंपनियों की ओर से भी या तो प्लॉट या फ्लैट के रूप में जरूरतमंद लोगों के लिए आवास या आवासीय प्लॉट उपलब्ध कराने होंगे। इन्हें भी कालोनी की अन्य सुविधाएं देनी होती हैं। इन कालोनियों के विकसित होने के बाद आर्थिक रूप से सक्षम लोगों को तो जगह मिलेगी ही, आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी इसका लाभ पा सकेंगे। जानिए क्या कहते हैं GDA के अधिकारी
GDA के उपाध्यक्ष आनन्द वर्द्धन ने कहा कि तीन इंटीग्रेटेड कालोनियों के लिए लाइसेंस दिया गया है। सभी से जल्द से जल्द डीपीआर दाखिल करने को कहा गया है। कंपनियों की ओर से 15 दिन के भीतर डीपीआर दाखिल करने का आश्वासन दिया गया है। इसके बाद रेरा से लेआउट अनुमोदित होने के बाद टाउशिप लांच की जा सकेगी। इन टाउनशिप के विकसित होने से जरूरतमंद लोगों को भी आवास पाने का अवसर मिलेगा।
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