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गोरखपुर में एकीकृत कार्यालय के लिए 383 पेड़ कटेंगे:नलकूप परिसर में निर्माण से पर्यावरण संरक्षण की चुनौती बढ़ी

गोरखपुर रेलवे स्टेशन के समीप नलकूप परिसर और उप श्रमायुक्त कार्यालय के पीछे प्रस्तावित एकीकृत मंडलीय कार्यालय के निर्माण के लिए शनिवार से 383 वृक्षों की कटान का काम शुरू हो गया। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ने नलकूप परिसर के लगभग 7 दशक पुराने 372 वृक्षों और उप श्रमायुक्त कार्यालय के पीछे 11 वृक्षों को मिलाकर कुल 383 पेड़ों को 23 लाख रुपये में नीलाम किया था। वन विभाग से औपचारिक अनुमति हुई पूरी पेड़ों की कटान के लिए GDA ने प्रभागीय वन अधिकारी, गोरखपुर वन प्रभाग को 38,300 रुपये आवेदन शुल्क, 3,83,000 रुपये अनुरक्षण शुल्क और 15,320 रुपये मूल्यांकन शुल्क जमा कर स्वीकृति प्राप्त की। इसके बाद ही पेड़ों की कटाई शुरू की गई। कुल 30 प्रजातियों के 383 वृक्ष काटे जा रहे हैं। इनमें फलदार पौधों में 145 आम, 16 बेल, 08 लीची, 04 गागर नींबू, 01 शहतूत, 06 बड़हल, 11 जामुन, 11 अमरूद, 04 आंवला और 19 कटहल शामिल हैं। छायादार पौधों में 32 अशोक, 22 नीम, 03 पाकड़, 18 पीपल, 02 कदम और 01 बरगद हैं। फूलदार और अन्य पौधियों में गोल्डमोहर, चम्पा, अमलतास, कनैल, बकैन 14, खजूर 07, बॉटल ब्रश 05, क्रिसमस ट्री 03, पॉम 31, सागौन 08, यूकेलिप्टस 01, सेमल 02 और औकठ 02 शामिल हैं। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रत्यारोपण की मांग उठाई पेड़ों की कटान के विरोध में हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल, डीडीयू के इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. साहिल महफ़ूज़ और पर्यावरण कार्यकर्ता मनीष चौबे ने वन प्रभाग से इन पेड़ों के प्रत्यारोपण की मांग की। उनका कहना है कि ये दशकों पुराने पेड़ न केवल वातावरण को साफ रखने में मददगार हैं बल्कि क्षेत्रीय जैव विविधता और शहर की हरित छवि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि सारस संरक्षण समिति द्वारा उपलब्ध कराई गई रेस्क्यू वैन इस दिशा में सकारात्मक पहल है। इससे राजकीय पक्षी सारस सहित अन्य पक्षियों के संरक्षण और प्राथमिक उपचार में मदद मिलेगी। वन्यजीव संरक्षण में नई पहल सारस संरक्षण समिति, उत्तर प्रदेश की 23 मई 2025 को हुई बैठक के बाद PCCF वाइल्डलाइफ, लखनऊ ने गोरखपुर वन प्रभाग को टाटा विंगर आधारित मोबाइल वेटेनरी यूनिट–रेस्क्यू वैन उपलब्ध कराई है। इस वैन के माध्यम से गोरखपुर और आसपास के जिलों में घायल मोर, सारस और अन्य पक्षियों को त्वरित प्राथमिक उपचार और रेस्क्यू मिल सकेगा। स्थानीय लोग घायल पक्षियों की जानकारी वन विभाग के कमांड सेंटर 07839435312 पर देकर तुरंत मदद दिला सकते हैं। टीम मौके पर पहुंचकर उनका रेस्क्यू और उपचार करेगी। शहरी निर्माण और पर्यावरणीय संतुलन की चुनौती विशेषज्ञों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि शहर में तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों के कारण हरित क्षेत्र घट रहे हैं और जैव विविधता पर असर पड़ रहा है। नलकूप परिसर में 383 पेड़ों की कटान इसका प्रमुख उदाहरण है। वन विभाग की पहल, जिसमें रेस्क्यू वैन उपलब्ध कराई गई है, पर्यावरण सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में सकारात्मक कदम है। GDA का कहना है कि पेड़ों की कटान निर्माण कार्य के लिए अनिवार्य थी और भविष्य में प्रत्यारोपण और हरित क्षेत्र बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। पर्यावरण कार्यकर्ता और शहरवासी कर रहे निगरानी पर्यावरण कार्यकर्ता और शहरवासी इस प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि शहर में विकास और हरित क्षेत्रों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। नलकूप परिसर की कटान और वन्यजीव संरक्षण दोनों ही गोरखपुर के सामने चुनौती और अवसर प्रस्तुत कर रहे हैं। इस तरह, गोरखपुर में नलकूप परिसर का निर्माण आधुनिक सुविधाओं के साथ शहर के विकास की दिशा में कदम है, वहीं पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण के लिए सतत प्रयासों की जरूरत बनी हुई है।


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