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गोरखपुर के बिजली कर्मियों की लखनऊ में होगी अहम बैठक:निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन की अगली रणनीति पर चर्चा

गोरखपुर में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली निगमों के निजीकरण और कर्मचारियों पर हो रही कथित उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के विरोध में आंदोलन को और आक्रामक बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में 7 दिसंबर को लखनऊ में सभी जनपदों और परियोजनाओं के संयोजक व सहसंयोजकों की संयुक्त बैठक आयोजित की जा रही है। समिति से जुड़े सभी प्रमुख श्रम संघों और सेवा संगठनों के केंद्रीय पदाधिकारी भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे। संघर्ष समिति एक साल पुराने आंदोलन की समीक्षा करेगी
पदाधिकारियों ने बताया कि बैठक में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे 374 दिन पुराने आंदोलन की विस्तृत समीक्षा होगी। आंदोलन को और प्रभावी बनाने तथा अगले चरण के कार्यक्रम तय करने पर प्रमुख रूप से चर्चा की जाएगी। कर्मचारियों पर कार्रवाई बैठक का मुख्य मुद्दा
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों—पुष्पेंद्र सिंह, जीवेश नंदन, जितेंद्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया—ने कहा कि निजीकरण के विरोध में उठी आवाज को दबाने के लिए कर्मचारियों पर की गई उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयों को बैठक में विशेष रूप से उठाया जाएगा। इन सभी कार्रवाइयों को खत्म कराने के लिए संयुक्त रणनीति बनाई जाएगी। ऊर्जा निगमों में ‘अघोषित आपातकाल’ का आरोप
समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण की राह आसान करने के लिए ऊर्जा निगमों में अघोषित आपातकाल लागू कर दिया है। सेवा नियमावली में संशोधन कर बिना आरोप पत्र के कर्मचारियों की बर्खास्तगी का अधिकार अपने पास ले लिया गया है। संविदा कर्मियों की छंटनी और दूरस्थ तबादलों पर नाराजगी
संघर्ष समिति के अनुसार पिछले एक वर्ष में मनमाने ढंग से हजारों संविदा कर्मियों को नौकरी से हटाया गया। साथ ही कई कर्मचारियों का लंबी दूरी पर प्रशासनिक स्थानांतरण किया गया, जिनमें महिला कर्मचारी भी शामिल हैं। इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। वेतन रोकने और चार्जशीट पर भी विरोध जारी
पदाधिकारियों का कहना है कि फेसियल अटेंडेंस व्यवस्था के नाम पर कई-कई महीनों तक कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया। कार्यालय समय के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अलग हुए 87 अधिशासी अभियंताओं को चार्जशीट देकर उनकी पदोन्नति रोक दी गई। कर्मचारियों को मिलने वाली रियायती बिजली सुविधा समाप्त करने के लिए उनके घरों पर जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। संघर्ष समिति के वरिष्ठ पदाधिकारियों पर झूठी एफआईआर दर्ज कराने का भी आरोप लगाया गया है। लखनऊ बैठक में आंदोलन के नए कार्यक्रमों का ऐलान होगा
संघर्ष समिति ने कहा कि 7 दिसंबर की बैठक अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी बैठक में आंदोलन के अगले चरण की अंतिम रूपरेखा और प्रस्तावित कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। उधर, निजीकरण विरोधी आंदोलन के 374 दिन पूरे होने पर शनिवार को प्रदेशभर में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।


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