गीडा की जिस फैक्ट्री में आग लगी है, वहां फायर सर्विस विभाग के जवानों ने कड़ी मशक्कत के बाद 4 बार आग बुझाने में कामयाबी पायी। कभी 25 मिनट तो कभी 1 घंटे तक आग बुझी रही लेकिन हर बार यह आग फिर भड़क गई। हालांकि इस बीच फैक्ट्री में टेक्निकल स्टाफ की कमी खली। कोई ऐसा कर्मचारी नहीं था जो लीकेज को ठीक करने का उपाय बता पाता। सूत्रों की मानें तो तीन वाल्व लीक होने से यह स्थिति आयी थी। दिल्ली व केरल से आए इंजीनियरों ने काफी मशक्कत के बाद रात 2 बजे वाल्व बंद करने में कामयाबी पायी। उसके बाद आग पर काबू पाया गया। हालांकि एहतियात के तौर पर सुबह 5 बजे तक टैंक व वाल्व पर पानी डाला गया। अब स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। सूत्रों की मानें तो मेंटीनेंस के दौरान लोकल स्टाफ ने एक वाल्व खुला छोड़ दिया था और दो ढीला रह गया था, जिससे लीकेज हो रहा था। देर शाम आयी टेक्निकल टीम में दिल्ली से दो और केरल से तीन इंजीनियरों ने काम शुरू किया। उन्होंने लीकेज का पता लगाया। एक-एक वाल्व पर एक से डेढ़ घंटे तक पानी डलवाया। उसके बाद एक-एक कर सारे वाल्व रात 2 बजे तक बंद कर दिए। फायर टेंडर से लगातार 25 घंटे तक यानी सुबह 5 बजे तक पानी डाला गया। अभी भी टैंक में हेक्सेन गैस बचा है। हालांकि खतरा टल गया है। पहले जानिए क्या है घटना
गीडा के सेक्टर 15 स्थित रुंगटा इंडस्ट्रियल प्राइवेट लिमिटेड धान की भूसी से रिफाइन व पशु आहार का निर्माण करती है। शुक्रवार की भोर में 4 बजे इस फैक्ट्री में अचानक आग लग गई। आग धीरे-धीरे बढ़ने लगी। पुलिस एवं अग्निशमन विभाग को सूचना दी गई। सुबह से ही फायर टेंडर (दमकल की गाड़ियां) वहां पहुंच गईं और आग बुझाने का क्रम शुरू हो गया। लेकिन टैंक में 50 हजार लीटर से अधिक हेक्सेन गैस होने के कारण आग पर काबू नहीं पाया जा सका। गैस खत्म होने के बाद ही आग पर काबू पाया जा सिकेगा। 10 से 15 बार चक्कर लगा चुका था हर फायर टेंडर
गोरखपुर-बस्ती मंडल के 7 जिलों के अलावा बलरामपुर, आजमगढ़, बाराबंकी, लखनऊ आदि शहरों से भी फायर टेंडर मंगाए गए थे। केयान व गैलेंट इस्पात की ओर से भी अपने टैंकर व संसाधन आग पर काबू पाने के लिए लगा दिए थे। दोनों कंपनियों के चालकों की मानें तो वे कई चक्कर जाकर वाटर हाइड्रेंट से पानी ला चुके हैं। रात 10 बजे तक 90 हजार किलोलीटर से अधिक पानी टैंक व आग पर फेंका जा चुका है। देर रात तक गूंजता रहा फायर टेंडर का सायरन आग बुझाने के लिए फायर टेंडर का सायरन देर रात तक गूंजता रहा। हर मिनट पर गाड़ियां फैक्ट्री में प्रवेश करतीं और वहां से निकलती देखी गईं। हालांकि रात में किसी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति नहीं है। अधिकारी भी मान रहे हैं कि आग बुझने में अभी और समय लग सकता है। सारे अधिकारी इस पर नजर बनाए हैं। दिल्ली से आयी टेक्निकल टीम ने देर रात निकाला समाधान
इस प्लांट को स्थापित करने वाली टेक्निकल टीम ने देर रात 2 बजे इस समस्या का समाधान निकाला। काफी प्रयास के बाद भी टीम के हाथ सफलता लगी। 400 टन भूसी का रोज करते हैं प्रसंस्करण इस फैक्ट्री में रोज लगभग 400 टन भूसी का प्रसंस्करण किया जाता है। इस घटना के चलते बड़े पैमाने पर भूसी प्लांट में फंसी है। इसी तरह इस भूसी से रोज 50 से 60 टन रिफाइन तैयार होता था। इसके अलावा पशुओं के लिए आहार भी तैयार किया जाता है। फैक्ट्री को इससे काफी नुकसान का संभावना है। हालांकि फैक्ट्री के मालिक राजेश रूंगटा अभी कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। फैक्ट्री मालिक का कहना है शार्ट सर्किट से लगी आग
फैक्ट्री मालिक राजेश रूंगटा का कहना है कि सुबह 4 बजे इंजीनियर ने फोन किया कि फैक्ट्री में आग लग गई है। उनका कहना है कि जब तक वह फैक्ट्री पहुंचे आग तेज हो चुकी थी और दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुट गई थीं। उनका कहना है प्रथम दृष्टया यह बात पता लगी है कि शार्ट सर्किट से आग लगी है। हालांकि एक चर्चा यह भी है कि मेंटीनेंस के समय वाल्व लीक हुई और उसी से आग लगी होगी। गोरखपुर का सबसे बड़ा रेस्क्यू आपरेशन माना जा रहा है कि अग्निकांड के बाद गोरखपुर में यह अबतक का सबसे बड़ा रेस्क्यू माना जा रहा है। 25 घंटे तक 11 जिलें से आए फायर टेंडर आग पर काबू करने का प्रयास करते रहे। सुबह जाकर सफलता मिली। कई सवाल भी उठे इस अग्निकांड के बहाने गीडा मे ज्वलनशील पदार्थों का उपयोग करने वाली फैक्ट्रियों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। जिस तरह से इस फैक्ट्री में लीकेज ठीक करने वाला कोई कर्मचारी नहीं था, हीं वही स्थिति अधिकतर फैक्ट्रियों की तो नहीं है। कई लोगों का कहना है कि यदि सुबह कोई तकनीकी कर्मचारी होता तो आग पर पहले ही काबू पाया जा सकता था। लेकिन वहां मौजूद कोई कर्मचारी यह बताने की स्थिति में नहीं था कि हल्की रिसाव पर भी उसे कैसे नियंत्रित करना है। जगह-जगह खड़े हो रहे तेल के टैंकर चेंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह ने बताया कि गीडा में जगह-जगह इंडियन ऑयल एवं एचपी के टैंकर खड़े कर दिए जा रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि यहां कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने सभी टैंकरों को गीडा से बाहर करने की मांग की है। कट बंद होने से हुई परेशानी सहजनवा में कट बंद होने से भी काफी परेशानी हुई। गैलेंट की फैक्ट्री से पानी लाने के लिए काफी दूरी तय कर आना पड़ा। मौके पर पहुंचे लघु उद्योग भारती के मंडल अध्यक्ष दीपक कारीवाल ने कहा कि कट खुले होते तो पानी और तेजी से लाया जा सकता था। फायर सर्विस विभाग के कर्मचारियों ने दिल जीता
चाहे फैक्ट्री मालिक हों या गीडा क्षेत्र का कोई भी उत्तमी, सभी ने इस घटना के बाद मिले रिस्पांस पर खुशी जाहिर की है। फायर सर्विस विभाग के कर्मचारियों ने उनका दिल जीत लिया है। लगातार 25 घँटे से वे अनवरत पानी डाल रहे हैं। वे ऐसी जगह खड़े होकर यह काम कर रहे हैं, जहां रहना खतरों से भरा है।
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