गोरखनाथ ओवरब्रिज का काम अब लगभग पूरा होने की कगार पर है। नया पुल 15 दिसंबर तक तैयार कर दिया जाएगा। इसके शुरू होते ही लोगों को रोज-रोज लगने वाले जाम से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। खासकर सुबह और शाम के समय पुराने दो लेन वाले पुल पर जबरदस्त भीड़ लग जाती है, जिससे आम लोगों का समय और धैर्य दोनों खर्च होते हैं। नया पुल खुलने के बाद यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। देखिए ओवरब्रिज की लेटेस्ट तस्वीरें… शहर का प्रसिद्ध खिचड़ी मेला, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं, उनके लिए भी यह पुल बेहद सुविधाजनक साबित होगा। यह रास्ता सीधे नेपाल जाने वाले रूट से जुड़ता है, इसलिए इस ओवरब्रिज का फायदा यहां से गुजरने वाले हजारों वाहनों को मिलेगा। दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रोजेक्ट लीड अरुण कुमार सिंह ने बताया कि अभी एक्सटेंशन ज्वाइंट का काम चल रहा है। 2–4 दिन में इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद रेलवे लोड चेक करेगी। हमारी तरफ से 15 दिसंबर तक पूरा पुल तैयार हो जाएगा। इसके बाद योगी जी इसका उद्घाटन करेंगे। उन्होंने बताया कि पिलरों पर एंगल रख दिया गया है और पुल के ऊपर रोड निर्माण भी पूरा कर लिया गया है। बस अंतिम चरण में रोड को और स्मूथ बनाने के लिए फाइनल टच दिया जा रहा है। रिपोर्टर द्वारा पूछे जाने पर एक बाइक सवार ने कहा कि देखिए, मैं अक्सर इस रास्ते से आता-जाता रहता हूं। शाम के टाइम यहां बहुत जाम लग जाता है। अब उम्मीद है कि खिचड़ी मेले से पहले सबको बड़ी राहत मिलेगी। इसके लिए मैं योगी जी का आभार जताता हूं। एक ऑटो ड्राइवर ने बताया, “सच बताएं तो कई बार जाम लगने से लगता है कि यहां से रूट ही नहीं लेना चाहिए था। लेकिन अब काम देखकर लग रहा है कि जल्दी ही नया पुल चालू हो जाएगा।” पुल की लंबाई और लागत -कुल लंबाई: .653 मीटर चौड़ाई: 7.5 मीटर -परियोजना लागत: ₹178 करोड़ -कार्य प्रगति: 95 % से अधिक (लगभग पूरा) -नया लक्ष्य: 15 दिसंबर 2025
गोरखनाथ रोड पर रोजाना हजारों लोग इस मार्ग से गुजरते हैं। भारी ट्रैफिक और संकरी सड़क की वजह से यहां अक्सर जाम लग जाता है। खासकर खिचड़ी मेले के दौरान यह समस्या और बढ़ जाती है। नया ओवरब्रिज बनने के बाद लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। जानिए एक्सटेंशन ज्वाइंट/गैप स्लैब क्यों जरूरी होता है पुल में एक्सटेंशन ज्वाइंट यानी गैप स्लैब एक बेहद अहम हिस्सा होता है। यह ज्वाइंट पुल की ऊपरी सतह को नीचे लगे स्ट्रक्चर से जोड़ता है। मौसम बदलने पर पुल में फैलाव और सिकुड़न होती है। गर्मी में पुल थोड़ा फैलता है, जबकि ठंड में सिकुड़ता है।
इस ज्वाइंट में थोड़ी जगह रहती है, जिससे पुल आसानी से इस बदलते तापमान के हिसाब से एडजस्ट हो जाता है। अगर यह हिस्सा न बनाया जाए तो पुल में दरारें पड़ने या सतह टूटने का खतरा रहता है। काम लगभग पूरा हो चुका है और तकनीकी जांच के बाद नया ओवरब्रिज चालू करने की तैयारी है। इसके शुरू होते ही गोरखनाथ का ट्रैफिक काफी हद तक सुधर जाएगा और रोजाना आने-जाने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। पुल की दीवारों पर गोरखपुर की झलकियाँ नए पुल की बाहरी दीवारों पर आकर्षक कलाकृतियाँ बनाई जा रही हैं। इनमें गोरखपुर की संस्कृति और पहचान की झलक दिखाई देगी। यह पेंटिंग गोरखनाथ दिशा से आने वाले लोगों को सबसे पहले नजर आएगी। राहगीरों और स्थानीय लोगों को यह वाल पेंटिंग काफी पसंद आ रही है और पुल देखने में भी खूबसूरत लग रहा है। पुल की खासियत: व्यू कटर और साउंड बैरियर नए ओवरब्रिज में पहली बार गोरखपुर में खास तरह का व्यू कटर शेड लगाया जा रहा है। इस शेड में छोटे-छोटे होल बनाए गए हैं, जो साउंड बैरियर की तरह काम करेंगे। इससे गाड़ियों की आवाज़ आसपास के घरों तक कम पहुंचेगी और नॉइस पॉल्यूशन भी कम होगा।
यह शेड पास में रहने वाले लोगों की प्राइवेसी भी सुरक्षित रखेगा, ताकि पुल पर चलने वाले लोग उनके घरों या आँगनों में झांक न सकें। अधिकारियों के अनुसार, गोरखपुर में ऐसा शेड पहली बार लगाया जा रहा है। पुल की साइड वाली दीवारों पर वाल पेंटिंग भी चल रहा है। जो लोकल लोग और राहगीरो को खूब भा रहा। दीवारों पर बने चित्र पुल को देखने में भी आकर्षक बना रहे हैं। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर ने जब प्रोजेक्ट लीड अरुण कुमार सिंह से इन विशेषताओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, “यह नए तरीके का शेड है जो गोरखपुर का पहला होगा। इसमें बनी छेद से पुल पर गाड़ियों का शोर बाहर नहीं जाएगा।” कैसे शुरू हुई थी परियोजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास कार्यों की समीक्षा बैठक के दौरान नए ओवरब्रिज के निर्माण के निर्देश दिए थे। लखनऊ–गोरखपुर रेल मार्ग के डोमिनगढ़ और गोरखपुर जंक्शन के बीच पहले से बना ओवरब्रिज जाम का बड़ा कारण बन चुका था। इसलिए उसी के पास दूसरा आरओबी बनाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड, गोरखपुर इकाई ने इस परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की। क्यों जरूरी पड़ा नया ओवरब्रिज गोरखनाथ क्रॉसिंग पर पहला ओवरब्रिज 1980 में बनाया गया था। समय के साथ शहर बढ़ा, सड़कें चौड़ी हुईं और ट्रैफिक कई गुना बढ़ गया।
मोहद्दीपुर से जंगल कौड़िया तक फोर-लेन सड़क बनने के बाद पुराने दो-लेन वाले पुल पर गाड़ियों का दबाव और बढ़ गया। नतीजा—हर समय जाम।
इसी वजह से मुख्यमंत्री ने पुराने पुल के समानांतर एक नया ओवरब्रिज बनाने की मंजूरी दी। क्या मिलेगा फायदा -पुराने पुल और आसपास के इलाकों में लगने वाले जाम से राहत -खिचड़ी मेले के दौरान भी सुचारु यातायात -एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस समय पर पहुंच सकेंगी -आपात स्थिति में तेज और वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा -शोर कम होने से आसपास रहने वालों को आराम -प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी -शहर के विकास में एक और महत्वपूर्ण कदम
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