गोंडा के कटरा बाजार विधानसभा क्षेत्र से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। रूपईडीह विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बनगांई के बूथ संख्या 336 पर तैनात बीएलओ और शिक्षामित्र नानबच्चा की लखनऊ के केजीएमयू में इलाज के दौरान मौत हो गई। वे पिछले नौ दिनों से वेंटिलेटर पर थे। मंगलवार देर रात उनके निधन की सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग और गांव में शोक की लहर दौड़ गई। परिजनों के अनुसार, 6 दिसंबर की सुबह नानबच्चा की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उन्हें तत्काल गोंडा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में ब्रेन हेमरेज की पुष्टि हुई। हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के केजीएमयू रेफर कर दिया था। वहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन नौ दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। नानबच्चा की हालत बिगड़ने के दिन ही उनकी बेटी ने रूपईडीह विकासखंड के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रियाज अहमद पर गंभीर आरोप लगाए थे। बेटी का कहना था कि 5 दिसंबर को बीईओ ने उनके पिता को बीआरसी रूपईडीह बुलाकर डांटा और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था। उन्होंने बताया कि उनके पिता बनगांई में शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत थे और साथ ही बीएलओ की जिम्मेदारी भी निभा रहे थे। काम का अत्यधिक दबाव, रात भर नहीं सो पाए थे बेटी के अनुसार, उनके पिता पर काम का अत्यधिक दबाव था। वे पहले से ही ब्लड प्रेशर के मरीज थे, लेकिन जिम्मेदारियों और डर के कारण नियमित दवा भी नहीं ले पा रहे थे। उन्हें आशंका थी कि दवा खाने से नींद आ जाएगी और काम प्रभावित होगा। 5 दिसंबर को बीईओ द्वारा डांटे जाने के बाद वे मानसिक रूप से काफी परेशान हो गए थे और पूरी रात सो नहीं पाए। अगले ही दिन सुबह वे अचानक बेहोश होकर गिर पड़े। नानबच्चा के इलाज के लिए शिक्षकों ने मानवीय पहल करते हुए करीब 5 लाख रुपये का चंदा एकत्र किया। यह राशि ऑनलाइन माध्यम से और प्रत्यक्ष रूप से मृतक की पत्नी के खाते में भेजी गई। शिक्षक संघर्ष समिति ने इस पूरे मामले की जांच की मांग भी की थी, लेकिन अब तक जिला प्रशासन या जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से कोई जांच कमेटी गठित नहीं की गई है। मौत की पुष्टि के बाद परिजन केजीएमयू से शव लेकर गोंडा के लिए रवाना हो गए हैं। आज गांव में पूरे सम्मान के साथ नानबच्चा का अंतिम संस्कार किया जाएगा। गांव और विभाग में शोक का माहौल है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अवधेश मणि मिश्रा ने मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक शिक्षक को हम नहीं बचा पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज के दौरान जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली और शिक्षकों ने आपस में चंदा जुटाकर इलाज कराया। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच, दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई, पीड़ित परिवार को नौकरी और आर्थिक मुआवजा देने की मांग की है। बीएसए ने पहले आरोपों को बताया था निराधार गौरतलब है कि 6 दिसंबर को जब नानबच्चा की तबीयत बिगड़ी थी, तब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बीईओ पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया था। उनका कहना था कि खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा किसी प्रकार का दबाव या डांट नहीं दी गई थी। बीएसए के अनुसार, नानबच्चा पारिवारिक कारणों से पहले से परेशान थे और ब्लड प्रेशर के मरीज होने के कारण ही उनकी तबीयत बिगड़ी।अब शिक्षक की मौत के बाद एक बार फिर काम के दबाव, विभागीय जिम्मेदारियों और अधिकारियों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
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