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गोंडा में ‘धरोहर’ कार्यक्रम में दिखी संस्कृति की झलक:बच्चों ने राम, शंकर, परशुराम और महाभारत के पात्रों का मंचन किया, इतिहास बताया

गोंडा जिले के फुलवारी पब्लिक स्कूल में इस वर्ष वार्षिक उत्सव का आयोजन ‘ऐतिहासिक धरोहर’ थीम पर किया गया। यह कार्यक्रम फिल्मी गानों या कविता-आधारित थीम से हटकर था। उत्सव के दौरान गोंडा सहित पूरे भारत की विभिन्न धरोहरों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए थे। स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों ने रामचरितमानस और रामायण पर आधारित विभिन्न नाटक प्रस्तुत किए। इन नाटकों में बच्चे भगवान राम, भगवान परशुराम, भगवान शंकर और अन्य देवताओं के रूप में मंच पर आए। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने भारतीय संस्कृति और उसके मूल्यों को दर्शाने का प्रयास किया है। बच्चों ने ‘भूत’ थीम पर भी नाटक प्रस्तुत किए। इन नाटकों के जरिए यह संदेश दिया गया कि भूत जैसी कोई चीज नहीं होती, बल्कि यह केवल लोगों का एक भय है। ‘धरोहर’ कार्यक्रम के दौरान फुलवारी पब्लिक स्कूल के प्रबंधक क्रांति सिंह ने गोंडा के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने महाराजा देवी भगत सिंह के अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष और भारत की आजादी में उनके योगदान के बारे में बताया। क्रांति सिंह ने गोंडा की धरती के महत्व और यहां के ऋषि-मुनियों के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम को देखने के बाद दर्शकों ने इसकी सराहना की। कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को उपहार के बजाय टिफिन देकर सम्मानित किया गया। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय में स्वस्थ भोजन लाने के लिए प्रोत्साहित करना था। बीएसए अमित कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बच्चों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न सांस्कृतिक और पौराणिक प्रस्तुतियां रहीं। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने न केवल लोकप्रिय फिल्मी गानों पर शानदार नृत्य पेश किया,बल्कि गंभीर विषयों को भी अपनी कला के माध्यम से जीवंत कर दिया है। विद्यालय की मैनेजर नीति सिंह ने कहा कि मंच पर महाभारत के दृश्यों और कल्कि अवतार की प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया है। कार्यक्रम में किया गया हैंगर एक्ट आकर्षण का केंद्र रहा, जिसने बच्चों के अनुशासन और अभ्यास को दर्शाया। बच्चों द्वारा पेश की गई कव्वाली ने समां बांध दिया। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि ‘धरोहर’ का उद्देश्य बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ना और उनके भीतर के आत्मविश्वास को बढ़ावा देना है। बीएसए अमित कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बच्चों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न सांस्कृतिक और पौराणिक प्रस्तुतियां रहीं। नन्हे-मुन्ने बच्चों ने न केवल लोकप्रिय फिल्मी गानों पर शानदार नृत्य पेश किया,बल्कि गंभीर विषयों को भी अपनी कला के माध्यम से जीवंत कर दिया। मंच पर महाभारत के दृश्यों और कल्कि अवतार की प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में किया गया हैंगर एक्ट आकर्षण का केंद्र रहा, जिसने बच्चों के अनुशासन और अभ्यास को दर्शाया। बच्चों द्वारा पेश की गई कव्वाली ने समां बांध दिया, जिसे दर्शकों की खूब सराहना मिली। इस उत्सव में भारी संख्या में अभिभावकों ने शिरकत की। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि ‘धरोहर’ का उद्देश्य बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ना और उनके भीतर के आत्मविश्वास को बढ़ावा देना है।


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