अजीत प्रताप सिंह, तुमने गलत किया। सोनल पर दबाव डालकर तुमने मुझे जेल भिजवाया और मेरी मौत का इंतजाम किया। मैंने सोनल से तन‑मन दोनों से प्यार किया। आज भी करता हूं और मरते दम तक करता रहूंगा। लेकिन अदालत शायद मेरी आत्महत्या के बाद भी उन दोनों की साजिशों को नहीं पहचानेगी। वे फिर झूठी गवाही देंगे और पैसे ऐंठने की सोचेंगे। अजीत और सोनल ने न केवल मेरी जिंदगी खराब की, बल्कि मुझे आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया। अब मैं इस दुनिया से ही दूर जा रहा हूँ। मेरी मौत का कारण अजीत प्रताप सिंह, सोनल सिंह और अजीत का बन भाई अमित सिंह हैं। सोनल ने मुझसे पैसे, साड़ी, मेरा शरीर-सब कुछ इस्तेमाल किया। गोंडा में 17 दिसंबर को सुसाइड करने वाले अभिषेक श्रीवास्तव ने अपने पांच पन्नों के सुसाइड नोट पर ऐसी ही बातें लिखी हैं। इस मामले में प्रेमिका सोनल और उसके पति अजीत को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है। अब पढ़िए अभिषेक का सुसाइड नोट पहला पेज मेरा नाम अभिषेक श्रीवास्तव है। मेरे माता‑पिता दोनों स्वर्गवासी हो चुके हैं। बीते कुछ महीनों पहले, दिनांक 28 सितंबर 2025 को, मेरे सामने के घर में रहने वाली सोनल सिंह (पत्नी: अजीत प्रताप सिंह) ने पुलिस में मेरे खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखाई। अजीत और सोनल ने न केवल मेरी जिंदगी खराब की, बल्कि मुझे आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया। समाज में लोग मुझे बहुत गंदी नजर से देखने लगे हैं। सब मुझे ब्लैकमेलर समझते हैं। उस दिन मैं अपने भाई‑बहनों के साथ काली भवानी मंदिर गया था। घर लौटते ही पुलिस मुझे ले गई और कहा कि आपने ब्लैकमेलिंग की है। मैं रोता रहा, भूखा था, कुछ खाया भी नहीं था। मैं बेगुनाह था, मैंने कोई अपराध नहीं किया था। सोनल, जिससे मैं बहुत प्यार करता था, वहीं खड़ी होकर बोली कि मैंने उसे वायरल करने की धमकी दी है। अजीत ने कहा कि इसने सुबह मार्केट में 2 लाख रुपए मांगे हैं। मैं लॉकअप में रोता रहा। मेरा और सोनल का रिश्ता प्यार से भी अनमोल था। दूसरा पेज पुलिस ने कहा कुछ खा लो। मैंने कहा- सर, व्रत हूं। मैंने कुछ गलत नहीं किया है। मैं काम करता हूं, इंजीनियर हूं। सब चले गए और मैं अकेला रोता रहा। 30 सितंबर को मुझे जेल भेज दिया गया। मैं बहुत रोया। जेल में एक अधिकारी अंसारी साहब थे, उन्होंने कहा- बेटा, वे गलत हैं, तुम छूट जाओगे। जब भी मैं बाहर आता हूं तो अजीत और सोनल मुझे देखकर हंसते हैं। मेरे घरवाले और मेरी छोटी बहन- मैं उन्हें क्या मुंह दिखाऊं। सब मुझे जेल जाने वाला ब्लैकमेलर समझते हैं। जब कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी गई, तो पता चला कि सोनल 1:30 बजे छत पर थी। उसका पति अजीत प्रताप सिंह उर्फ सेब (टिंकू) 1:50 बजे मार्केट से लौट आता है। मैं 9:40 के बाद लगभग 9:47 बजे बुआ के घर और फिर मंदिर गया था। मेरे पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद ही सोनल घर से निकलती है। उसने एक बार फिर मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। तीसरा पेज मैंने हवालात में कहा कि मैं सब भूल चुका हूं, मुझे जाने दो, मेरा पेपर भी है। मैंने 20 सितंबर 2025 को फॉर्म डाला है। लेकिन अजीत ने जबरदस्ती मेरे ऊपर केस कराकर मेरी जिंदगी खराब कर दी। माता‑पिता न होने के कारण अब मैं अपनी बहन का रिश्ता ले जाने में भी संकोच करूँगा। कभी सिर उठाकर नहीं चल पाऊँगा। अजीत आज भी मुझे घूरता है और जेल से आने के बाद भी मुझे उकसाता है। अब मैं इस दुनिया से ही दूर जा रहा हूँ। मेरी मौत का कारण अजीत प्रताप सिंह, सोनल सिंह और अजीत का बन भाई अमित सिंह हैं। मुझे बहुत मजबूर किया गया है। इस केस के जरिए सोनल ने मुझसे पैसे, साड़ी, मेरा शरीर, सब कुछ इस्तेमाल किया। एक लड़का होकर मैं समाज और अदालत में यह सब कह नहीं पाऊँगा। उन्होंने इसे ब्लैकमेलिंग बता दिया, जबकि हकीकत यह है कि हम दोनों एक‑दूसरे से बहुत प्यार करते थे। इन दोनों ने मुझे समाज में बदनाम कर जेल भिजवाया और आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया। चौथा पेज अजीत ने अपने भाई अमित सिंह के साथ मिलकर मुझे उकसाया। उस दिन मैंने सोनल से बात की थी, लेकिन बाद में मुझ पर झूठा आरोप लगवा दिया गया। 11 जुलाई को सोनल और मेरे रिश्ते का अंत हो गया। 15 जुलाई को आखिरी बार ब्लैकमेलिंग को लेकर मैंने मैसेज किया था। बातचीत की रिकॉर्डिंग भी 15 जुलाई की मौजूद है। इसके बाद उन लोगों ने मिलकर मुझसे दोबारा पैसे ऐंठने की साजिश रची। मैंने सोनल से तन‑मन दोनों से प्यार किया। आज भी करता हूँ और मरते दम तक करता रहूँगा। लेकिन अदालत शायद मेरी आत्महत्या के बाद भी उन दोनों की साजिशों को नहीं पहचानेगी। वे फिर झूठी गवाही देंगे और पैसे ऐंठने की सोचेंगे। अजीत प्रताप सिंह, तुमने गलत किया। सोनल पर दबाव डालकर तुमने मुझे जेल भिजवाया और मेरी मौत का इंतजाम किया। पांचवां पेज अलविदा, मेरी छोटी बहन। माफ करना, मैंने तुम्हारा फोन इस्तेमाल किया। मुझे नहीं पता था कि वह बात को इस हद तक ले जाएगी। मैं एक वसीयत तुम्हारे नाम छोड़कर जा रहा हूँ, हो सके तो संभालकर रखना। अच्छी बेटी और बहन बनना। दादा तुम्हें आज भी गोद में खिलाते हुए देखते हैं। अब मैं मजबूर हूँ। इन लोगों ने मुझे उकसा‑उकसा कर बर्बाद कर दिया और मुझ पर झूठा केस कर दिया। अब मैं नहीं जी पाऊँगा। प्रिय बहन आस्था, माफ़ करना। हँसती‑खेलती रहना और सरकारी टीचर बनना। सबके साथ रहना, लेकिन इन लोगों से दूर रहना। ये तुम्हें भी फँसा सकते हैं। आरोपी ने हंसते हुए कहा- कोई मर गया तो उससे हमें क्या मतलब इंजीनियर अभिषेक श्रीवास्तव ने जिस शादीशुदा गर्लफ्रेंड और उसके बैंक कैशियर पति के चलते जान दी, उन्हें 14 दिनों की जेल हुई है। गोंडा कोर्ट से जेल जाते समय कैशियर अजीत हंसता हुआ दिखा। ब्लैकमेलर गर्लफ्रेंड सोनल के चेहरे पर भी कोई शिकन नहीं दिखी, न ही उसे कोई पछतावा था। इससे पहले नगर कोतवाली में पति-पत्नी से पूछताछ की गई। दोनों बार-बार हंसते रहे। पुलिसकर्मियों ने दोनों को डांट लगाई, लेकिन उनका रवैया नहीं बदला। इस दौरान दोनों ने कहा, “इसमें हमारी क्या गलती है, कोई मर गया तो उससे हमें क्या मतलब?” पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इंजीनियर अभिषेक के जानलेवा इश्क की पूरी कहानी 7 पॉइंट में पढ़िए… 1. वर्क फ्रॉम होम के दौरान शादीशुदा महिला से इश्क 2- कैशियर पति संग मिलकर प्रॉपर्टी हड़पने का प्लान बनाया 3- पति-पत्नी ने साजिश से जेल भिजवाया, फिर भी नहीं टूटा 4- जेल से लौटा तो पति-पत्नी परेशान करने लगे 5- 10 लाख रुपए मांगे, FD तोड़ने का दबाव बनाया 6- कैमरे में प्रिंटआउट चिपकाए और लटककर जान दी 7- स्क्रीनशॉट में ये बातें सामने आईं —————————————————————– ये खबर भी पढ़ेंः- आग में लिपटा बच्चा 100 मीटर तक भागा, VIDEO:अलीगढ़ में खेलते-खेलते अलाव में डाली पेट्रोल की बोतल, धमाके के बाद झुलसा यूपी के अलीगढ़ में रविवार रात एक बच्चा आग की लपटों में घिरा हुआ गली में 100 मीटर तक भागता रहा। उसकी चीख सुनकर आसपास के लाग दौड़े। लोगों ने पहले उसके कपड़े फाड़कर फेंक दिए। फिर अपने कपड़ों से उसकी आग बुझाई। बच्चा दर्द से कराहता रहा। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया। इलाज के बाद उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। पढ़ें पूरी खबर…
https://ift.tt/T1hc8yM
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply