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गैंगरेप पीड़िता, बोली- जज बनकर अपने जैसों को न्याय दिलाउंगी:कर रही LLB, कहा- 9 साल बाद भी भूली नहीं राक्षसों के चेहरे, बुलंदशहर हाइवे गैंगरेप मामला

“9 साल पहले उस रात जो कुछ हमने झेला, वह अमानवीय और बर्बर था। तब मैं सिर्फ 14 साल की थी। बच्ची थी। आज भी उन राक्षसों के चेहरे अच्छे से याद हैं, जो मेरे और मेरी मां के शरीर को नोच रहे थे। उन्होंने सिर्फ हमारे शरीर को नहीं, हमारी पूरी जिंदगी को तबाह कर दिया। न्याय मिलने में 9 साल लग गए। अदालत के फैसले से न्याय की उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन दर्द खत्म नहीं होता। इंसाफ मिला है, सुकून अभी दूर है। लेकिन हम लड़ते रहेंगे, ताकि किसी और लड़की को यह सब न झेलना पड़े। इसलिए अब मैं खुद ही लॉ की पढ़ाई कर रही हूं। जज बनना चाहती हूं, ताकि मेरी जैसी दूसरी लड़कियों-महिलाओं को न्याय दिला सकूं। ये बातें बताते हुए, बुलंदशहर NH-91 गैंगरेप कांड की पीड़िता का गला रुंध गया। दैनिक भास्कर से फोन पर बातचीत के दौरान सुबकते हुए उन्होंने बताया- 2016 की उस काली रात ने कैसे उसकी और उसके पूरे परिवार की जिंदगी बदल कर रख दी। क्या-क्या झेला? आज भी वो जख्म कितने हरे हैं। पहले जानिए 28 जुलाई, 2016 की रात क्या हुआ था…
नोएडा का एक परिवार कार से शाहजहांपुर अपने पैतृक गांव जा रहा था। गांव में तेरहवीं थीं। कार में 14 साल की लड़की, उसके पिता, मां, ताई-ताऊ और तहेरा भाई बैठा था। रात डेढ़ बजे बुलंदशहर देहात कोतवाली क्षेत्र में दोस्तपुर फ्लाईओवर के पास बदमाशों ने कार को रोक लिया। इसके बाद सभी को बंधक बना लिया। मां और नाबालिग बेटी को पास के खेत में ले जाकर गैंगरेप किया। जबकि अन्य घरवालों को दूसरे खेत में बंधक बनाकर पीटा और लूटपाट कर भाग निकले। पिता ने 100 नंबर डायल किया, पर फोन रिसीव नहीं हुआ। नोएडा पुलिस के दोस्त के माध्यम से संपर्क किया तो लोकल पुलिस पहुंची। पुलिस ने 12 घंटे बाद FIR की। अब विस्तार से पढ़िए पीड़िता और उसके माता-पिता से पूरी बातचीत… 9 साल में 5 घर बदले, शहर-शहर भटके
पीड़िता ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में मैं और मेरे परिवार ने पांच बार घर और शहर बदले। हम पहचान और उत्पीड़न से बचने के लिए जगह बदलते रहे, लेकिन हर बार लोग हमें पहचान ही लेते थे। फिर बदनामी, नफरत और डर का वही दौर शुरू हो जाता था। जैसे ही पड़ोसियों को उनके अतीत का पता चलता था, माहौल जहरीला हो जाता था। लोग घूरने लगते हैं, रास्ते में फब्तियां कसते हैं, छेड़छाड़ शुरू हो जाती है, घर के आसपास मंडराया जाता है। लेकिन हम नहीं टूटे, मैं नहीं टूटी। आखिर हम कब तक अपनी पहचान छिपाते रहेंगे?’ आर्थिक तबाही झेली, अब खुद मजबूत बनूंगी
पीड़िता ने बताया- बार-बार जगह बदलने से परिवार की आर्थिक हालत भी बुरी तरह प्रभावित हुई। मेरे पिता के पास पहले तीन कारें थीं, जिन्हें वह टैक्सी के रूप में चलाते थे। आज वह किसी और की कार चलाकर रात की शिफ्ट करते हैं, ताकि हमारा पेट भर सकें। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं। उस घटना के बाद बार-बार स्थान बदलने से मेरी पढ़ाई प्रभावित हुई, लेकिन अब मैं कानून की पढ़ाई कर रही हूं। मेरा सपना है कि एक दिन जज बनूं और मेरे जैसी पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाऊं। आज भी बुरे सपने आते हैं
उन्होंने कहा- मुझे हर चेहरा याद है। वे इंसान नहीं, राक्षस हैं। आज भी बुरे सपने आते हैं। रातें सबसे ज्यादा डरावनी होती हैं। आज भी घबराकर नींद से जाग जाती हूं। मां बोली- हमने न कभी थाना देखा था, ना कोर्ट, आज सब बदल गया
पीड़िता की मां ज्यादा बोल नहीं पा रही थीं। बार-बार रुककर आंसुओं को रोकती रहीं। उन्होंने कहा- हम एक सामान्य परिवार थे। न कभी थाने गए थे, न अदालत देखी थी। उस एक दिन के बाद हमारी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। मेरी बेटी, जो तब बच्ची थी, उसने सब कुछ देखा और झेला। पिता बोले- बेटी की चीखें आज भी कानों में गूंजती है
पीड़िता के पिता ने कांपती आवाज में उस रात को याद किया। हमें मेरी दादी के अंतिम संस्कार में जाना था। रात करीब एक बजे हाईवे पर जोर की आवाज आई। लगा गाड़ी किसी चीज से टकरा गई। तभी झाड़ियों से 7-8 लोग निकले और बंदूक के बल पर हमें घेर लिया।” उन्होंने बताया कि गाड़ी में पत्नी, बेटी, भाई, भाभी और भतीजा थे। उन्होंने मेरी पत्नी और बेटी को झाड़ियों में घसीट लिया। मेरी बेटी गिड़गिड़ाती रही। मैं वहीं था, लेकिन कुछ नहीं कर सका। उनकी चीखें आज भी मेरे कानों में गूंजती हैं। पीड़िता के पिता ने कहा- इस घटना ने मुझसे सब कुछ छीन लिया। हमें ऐसे इलाकों में रहना पड़ा, जहां कोई हमें न जानता हो। लोगों के सामने झूठा अतीत गढ़ना पड़ा। नौकरी मिलना मुश्किल हो गया। आज किसी और की कार चलाकर 12 से 15 हजार रुपये महीना कमाता हूं, रात में ओवरटाइम करता हूं। अब मेरी पूरी जिंदगी सिर्फ बेटी के भविष्य के इर्द-गिर्द है। ——————————- ये खबर भी पढ़िए… पत्नी ने दो बॉयफ्रेंड संग कारोबारी पति के टुकड़े किए:सोते वक्त हाथ-पैर काटे; संभल में मुस्कान जैसी वारदात की संभल में मर्चेंट नेवी अफसर सौरभ हत्याकांड जैसी वारदात हुई है। यहां पत्नी ने दो बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर सोते वक्त कारोबारी पति की हथियार से हत्या कर दी। इसके बाद सिर, धड़ और दोनों हाथों को अलग-अलग कर दिया। घर से 800 मीटर दूर पॉलिथीन में धड़ और एक हाथ भरकर नाले के पास फेंक दिए। फंसने के डर से पत्नी ने 6 दिन बाद पति के लापता होने की गुमशुदगी चंदौसी कोतवाली में दर्ज कराई। पढ़िए पूरी खबर…


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