प्रयागराज में मानवता, त्याग और धर्म की रक्षा के प्रतीक सिखों के नौवें गुरु हिंद की चादर कहे जाने वाले श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहादत शताब्दी इस वर्ष पूरे देश और विदेश में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। इसी क्रम में प्रयागराज में भी भव्य महान शहीदी समागम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम गुरु तेग बहादुर साहिब जी की तपस्थली माने जाने वाले गुरुद्वारा पक्की संगत अहियापुर में 23 नवंबर से 25 नवंबर तक आयोजित होगा। इतिहास के अनुसार गुरु तेग बहादुर साहिब का प्रयागराज से गहरा नाता रहा है। उन्होंने अपने जीवन के छह माह नौ दिन परिवार के साथ इसी स्थान पर तपस्या की थी। यही नहीं, मान्यता है कि इसी तपस्थली पर माता जी के गर्भ में दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश भी हुआ था। यही कारण है कि यह स्थल सिख इतिहास में विशेष महत्व रखता है। श्री गुरु सिंह सभा प्रयागराज के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह ने बताया कि गुरु तेग बहादुर साहिब ने मानवता, धार्मिक स्वतंत्रता और समाज के कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इसी त्याग के कारण उन्हें हिंद की चादर की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि गुरु जी की शहादत स्मृति में पूरे देश और दुनिया में 23 से 25 नवंबर तक शहीदी समागम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रमों की शुरुआत 23 नवंबर को सुबह 10 बजे गुरुद्वारा पक्की संगत अहियापुर से नगर कीर्तन शोभायात्रा के साथ होगी। पंच प्यारों और गुरु ग्रंथ साहब की अगुवाई में निकलने वाली यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए शाम को गुरुद्वारे में वापस पहुंचेगी। इसमें शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ देश-विदेश से आए रागी जत्थे और कथा वाचक शामिल होंगे। 24 नवंबर की शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक गुरुद्वारे में कीर्तन, कथा और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। अंतिम दिन 25 नवंबर को दिनभर कीर्तन दरबार, इतिहास परिचय सत्र, रक्तदान शिविर और हेल्थ कैंप का आयोजन किया जाएगा।
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