सिक्खों के नौवें गुरु, धर्म एवं मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस पर मंगलवार को उरई में श्रद्धा और सम्मान से भरे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। शहर के घंटाघर स्थित गुरुद्वारे में सुबह से ही संगत जुटनी शुरू हो गई, जहां विशेष दीवान, शबद-कीर्तन और अरदास का आयोजन किया गया। गुरुद्वारे में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत गुरु ग्रंथ साहिब जी के सम्मुख कीर्तन दरबार से हुई, जिसमें रागी जत्थों ने तेग बहादुर सिमरिए, सहित कई शबद प्रस्तुत किए। शहीदी दिवस पर संगत ने गुरु तेग बहादुर साहिब द्वारा दिए गए बलिदान को श्रद्धापूर्वक याद किया। उपस्थित लोगों को बताया गया कि गुरु साहिब ने कश्मीर के हिंदुओं, पंडितों और आम लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता बचाने के लिए दिल्ली में बलिदान दिया था। उनका जीवन साहस, सत्य, करुणा और मानवता की रक्षा का प्रतीक है। इस दौरान गुरुद्वारा के संरक्षक हरजीत सिंह ने गुरुद्वारे में संगत के लिए गुरुप्रसाद और लंगर की व्यवस्था भी की, जिसमें लोगों ने भाग लिया। सिख समुदाय के लोगों ने दीप प्रज्ज्वलित कर और अरदास कर देश में शांति, सौहार्द और भाईचारे की कामना की। कार्यक्रम में स्थानीय सिख समुदाय, समाजसेवी, व्यापारी तथा विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने बताया कि गुरु तेग बहादुर साहिब के शहीदी दिवस पर प्रतिवर्ष इसी तरह श्रद्धांजलि सभा और सेवा कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहेंगे, ताकि उनके आदर्श नई पीढ़ी तक पहुंचते रहें।
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