रायबरेली में गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहीदी दिवस सम्मानपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर जिले भर में शोभायात्रा निकाली गई। यह दिवस नौवें सिख गुरु द्वारा 1675 में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा हेतु दिए गए सर्वोच्च बलिदान को स्मरण करने के लिए विशेष महत्व रखता है। शहर के फिरोज गांधी नगर से शोभायात्रा शुरू हुई और विभिन्न स्थानों से होते हुए गुरुनानक नगर में समाप्त हुई। इस दौरान जगह-जगह शोभायात्रा का सम्मान किया गया, जिसमें समुदाय के लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। श्री गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 21 अप्रैल 1621 को हुआ था और वे 24 नवंबर 1675 तक सिखों के नौवें गुरु रहे। विश्व इतिहास में धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में उनका स्थान अद्वितीय है। उन्होंने मुगलिया सल्तनत का विरोध किया। 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उनसे इस्लाम स्वीकार करने को कहा, लेकिन गुरु साहब ने ‘शीश कटा सकते हैं, केस नहीं’ कहकर इनकार कर दिया। इसके बाद औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया था। गुरुद्वारा शीशगंज साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब उन स्थानों का स्मरण कराते हैं जहाँ गुरु जी की हत्या की गई और जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया। गुरु जी का यह बलिदान केवल धर्म पालन के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवीय संस्कृति और विरासत की रक्षा के लिए था।
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