गाजीपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) नूतन द्विवेदी की अदालत ने शुक्रवार को सुहवल और शहर कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने दो आरोपियों की रिमांड अर्जी खारिज करते हुए उन्हें 50-50 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा करने का आदेश दिया। सीजेएम ने विवेचकों द्वारा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर भी कड़ी टिप्पणी की।अदालत ने अपने आदेश में बताया कि दोनों मामलों में दर्ज धाराएं सात वर्ष से कम सजा वाली थीं। इसके बावजूद, विवेचकों ने कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना आरोपियों को रिमांड के लिए न्यायालय में प्रस्तुत किया। विवेचकों द्वारा गिरफ्तारी का आधार भी स्पष्ट नहीं किया गया था, जो कानूनी रूप से अनिवार्य है। पहले मामले में, सुहवल थाने के उप निरीक्षक और विवेचक वीरेंद्र राय ने इंद्रपुरा दुनिया निवासी आरोपी राजू चौधरी को 14 दिन की रिमांड पर लेने के लिए अदालत में पेश किया था। अदालत ने प्रस्तुत दस्तावेजों की समीक्षा के बाद पाया कि आरोपी की गिरफ्तारी का कोई ठोस आधार नहीं दर्शाया गया था, जो रिमांड स्वीकृत करने के लिए पर्याप्त नहीं था। इस पर सीजेएम ने विवेचक को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी की है। अदालत ने राजू चौधरी की रिमांड अर्जी खारिज करते हुए उसे 50 हजार रुपए के व्यक्तिगत बंधपत्र पर इस शर्त के साथ रिहा किया कि वह जांच में पूरा सहयोग करेगा।
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