गाजीपुर न्यायालय परिसर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जनपद न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार पाण्डेय ने दीप प्रज्वलित कर इसका शुभारंभ किया। इस लोक अदालत में कुल 1,39,292 मामलों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 1,24,075 वादों का अंतिम निस्तारण सुलह-समझौते के आधार पर किया गया। निस्तारित मामलों में सबसे अधिक संख्या बैंकों और अन्य विभागों से संबंधित थी, जहाँ 1,10,613 प्रकरण सुलझाए गए। विभिन्न न्यायालयों द्वारा 13,462 मामलों का निस्तारण किया गया। जनपद न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार पाण्डेय ने लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समय की बचत के साथ-साथ वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण का प्रभावी माध्यम है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत में निस्तारित मामलों के विरुद्ध अपील का प्रावधान नहीं होता, जिससे विवाद स्थायी रूप से समाप्त हो जाता है। न्यायाधीश पाण्डेय ने सभी न्यायिक अधिकारियों को अधिक से अधिक मामलों के निस्तारण के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आपसी सुलह के माध्यम से सामाजिक वैमनस्य समाप्त करने का भी आह्वान किया। राष्ट्रीय लोक अदालत के नोडल अधिकारी और अपर जिला जज कोर्ट संख्या-1 शक्ति सिंह ने जानकारी दी कि यह लोक अदालत किसानों, मजदूरों और सीमाओं पर तैनात जवानों को समर्पित थी। उन्होंने बताया कि अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुँचाने के उद्देश्य से विशेष प्रयास किए गए। शक्ति सिंह ने कहा कि छोटे मामलों का सुलह से निस्तारण कर लोक अदालत सामाजिक सौहार्द स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विजय कुमार-IV ने बताया कि परिवार न्यायालय द्वारा तीन विवाहित जोड़ों में सुलह कराकर उन्हें विदा किया गया। बैंकों के लगभग 10 करोड़ 95 लाख रुपये के प्रकरण भी निस्तारित हुए। लोक अदालत में वृद्धा, दिव्यांग और विधवा पेंशन शिविर, मेडिकल कैंप, बिजली बिल, गृहकर और जलकर से संबंधित पांडाल लगाए गए थे। जनपद का सबसे पुराना, 11 वर्ष से लंबित आर्बिट्रेशन वाद संख्या 13/2014 भी सुलह के आधार पर निस्तारित किया गया।
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