राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के तीसरे चरण के तहत गाजीपुर में एक हिंदू सम्मेलन आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम सोमवार देर शाम सदर कोतवाली क्षेत्र के बड़ीबाग स्थित कांशीराम आवास परिसर में संपन्न हुआ। इसमें बड़ी संख्या में संत, नेता, कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित रहे। सम्मेलन के मुख्य अतिथि भुड़कुड़ा सिद्धपीठ के महंत शत्रुघ्न दास जी महाराज थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। मंच पर पूर्व मंत्री विजय मिश्र और पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष विनोद अग्रवाल सहित कई प्रमुख हस्तियां भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश कुमार ने कहा कि यह हिंदू सम्मेलन हिंदुओं की आत्मीयता, परस्पर बंधुत्व और प्रेम को मजबूत करने का माध्यम है। उन्होंने जोर दिया कि समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए सभी का एकजुट रहना आवश्यक है। कुमार ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति के लिए समाज में एक शक्ति और एक दिशा होनी चाहिए। रमेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जब-जब हिंदू समाज संगठित रहा है, उसने हर चुनौती का सामना मजबूती से किया है। इसके विपरीत, बिखराव की स्थिति में विसंगतियां और कठिनाइयां सामने आई हैं। उन्होंने बांग्लादेश जैसे मुद्दों पर हिंदू समाज की एकजुट प्रतिक्रिया का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया भर में हिंदू समाज एक-दूसरे के सुख-दुख को लेकर चिंतित है। कुमार ने स्पष्ट किया कि ‘शत्रु मानसिकता’ का जवाब केवल संगठन और एकता से ही दिया जा सकता है। मीडिया के एक सवाल पर, भगवान राम को लेकर दिए गए एक विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रमेश कुमार ने कहा कि भगवान राम इस सृष्टि के माता-पिता हैं, वे किसी एक वर्ग के नहीं बल्कि पूरे संसार के हैं। जो भी राम को मानता है, उसे साधुवाद।वहीं, भुड़कुड़ा सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महंत शत्रुघ्न दास जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति को जागृत करने और हिंदू समाज को संगठित करने के उद्देश्य से वे इस कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज का युवा अपनी मूल हिंदू संस्कृति से दूर होता जा रहा है, जिसे वापस मूल स्वरूप में लाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि हिंदू समाज जाति-पात में बंटा हुआ नहीं है, बल्कि हम सब एक हैं। राजनीति के कारण समाज में कुछ दूरी आई थी, लेकिन अब समय है कि हम अपनी मूल व्यवस्था और मूल विचारधारा की ओर लौटें। संतों के वचनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा “जाति-पाति पूछे ना कोई, हरि को भजे सो हरि का होई”और इसी भाव के साथ समाज को एकजुट होने का संदेश दिया। महंत शत्रुघ्न दास महाराज ने कहा कि संत-महात्माओं ने सदैव समाज को दिशा देने का कार्य किया है और आज भी संत समाज संस्कृति और मूल्यों की रक्षा के लिए सक्रिय है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमारी संस्कृति, समाज या संत समाज पर कुठाराघात होता है, तो समाज को जागृत करना संत समाज का दायित्व है।
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