इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा किनारे झूसी क्षेत्र में धड़ल्ले से हुए अवैध निर्माण धहाने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। कहा की राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली इसी मामले की सुनवाई कर रहा है।और जनहित याचिका में जिनके निर्माण को गिराने की मांग की गई है उन्हें पक्षकार भी नहीं बनाया गया है।साथ ही याची का कहना है कि वह गंगा प्रदूषण को लेकर दाखिल याचिका में भी पक्ष रखता रहा है। कोर्ट ने कहा जब मामले की सुनवाई अधिकरण में की जा रही है तो इस याचिका की अलग से सुनवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने मोहम्मद नसीम हासमी की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि हाईकोर्ट ने गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ विंदु से 500मीटर तक निर्माण पर रोक का आदेश दिया है।साथ ही शासनादेश से गंगा किनारे 200मीटर तक किसी प्रकार के निर्माण पर कतिपय शर्तों के साथ रोक लगी हुई है। हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत योगी सत्यम सहित दर्जनों लोगों ने गंगा कछार में अवैध निर्माण कर लिया है।जो पी डी ए की महायोजना तथा हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत है। जिन्हें ढहाया जाय।माघ मेला प्रयागराज के लिए अवैध निर्माण हटाया जाना जरूरी है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी कहा अधिकरण में विचाराधीन जनहित याचिका में याची पक्ष रख सकता है। याचिका पर अधिवक्ता एम ए हसीन व पी डी ए के अधिवक्ता विभु राय व नगर निगम के अधिवक्ता एस डी कौटिल्य ने पक्ष रखा।
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