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खुले सेप्टिक टैंक में गिरा 3 साल का मासूम, मौत:शौचालय परिसर में खेलते वक्त हादसा, कंपनी पर लापरवाही का आरोप

इटावा के बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर सुरक्षा में भारी लापरवाही सामने आई है। एक्सप्रेस वे किनारे बने सार्वजनिक शौचालय के पीछे खुले सेफ्टी टैंक में गिरने से तीन साल के मासूम की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे ने एक्सप्रेस वे पर बनाए गए शौचालयों और उनके रखरखाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक बच्चा वहीं तैनात सफाई कर्मी का बेटा था। परिजनों ने सेफ्टी टैंक पर ढक्कन न होने को घोर लापरवाही बताते हुए जिम्मेदार कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। घटना शुक्रवार शाम की है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर कुदरैल के पास चैनल नंबर 288.7 के समीप यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालय बनाया गया है। यहां रायबरेली निवासी सफाई कर्मी विजय कार्यरत है। उसका तीन वर्षीय बेटा अर्पित शौचालय परिसर में खेल रहा था। इसी दौरान वह शौचालय के पीछे बने खुले सेफ्टी टैंक में गिर गया। बताया गया कि सेफ्टी टैंक की गहराई 10 फीट से अधिक थी, जिससे बच्चा बाहर नहीं निकल सका। तलाश के दौरान सेप्टिक टैंक में मिला मासूम कुछ समय बाद जब अर्पित दिखाई नहीं दिया तो माता-पिता उसे इधर-उधर तलाशने लगे। पीछे जाकर देखा तो उनका कलेजा कांप उठा—अर्पित सेफ्टी टैंक में पड़ा हुआ था। आनन-फानन में बच्चे को बाहर निकाला गया और एम्बुलेंस से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां तैनात चिकित्सक अधीक्षक सैफ खान ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। मासूम की मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर आवश्यक कार्रवाई शुरू की। शनिवार दोपहर करीब एक बजे पोस्टमॉर्टम कराया गया। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एक महीने से नहीं लगाया ढक्कन सफाई कर्मी विजय ने बताया कि उसे एक्सप्रेस वे पर डीएसएसजी और साईं कंपनी के माध्यम से सफाई कार्य के लिए करीब दो साल पहले तैनात किया गया था। एक्सप्रेस वे के रखरखाव का काम डीबीएल कंपनी द्वारा कराया जाता है। विजय का आरोप है कि करीब एक माह पहले सेफ्टी टैंक की सफाई और मेंटेनेंस किया गया था, लेकिन इसके बाद भी टैंक पर ढक्कन नहीं लगाया गया। इस खामी को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। विजय का कहना है कि अगर सेफ्टी टैंक पर ढक्कन लगाया गया होता तो उसका बेटा आज जिंदा होता। परिजनों ने इसे कंपनी की गंभीर लापरवाही बताया है और जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदार कंपनी पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। इस दर्दनाक हादसे ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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