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खुद गोली मारी तो पिस्टल सीने पर कैसे मिली:SHO के भाई बोले- कभी परेशान नहीं रहा अरुण; आरोपी महिला सिपाही का तो यही पैटर्न था

‘मेरे भाई का स्वभाव बहुत अच्छा था। जब उसने 20-25 साल की उम्र में प्यार-मोहब्बत नहीं की, तो फिर जिम्मेदारी आने पर ऐसा क्यों करेगा? फिर कोई अपनी कनपटी पर गोली मारेगा, तो क्या पिस्टल सीने पर रखेगा? उस महिला सिपाही ने ही मेरे भाई को मारा है, क्योंकि उसके बारे में अब तक जो पता चला है वह ऐसे ही करती आई है।’ यह कहना है इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय के भाई अरविंद राय का। जालौन के कुठौंद थाना प्रभारी अरुण की 5 दिसंबर की रात करीब 9 बजे मौत हो गई। जिस वक्त कमरे में गोली चली, महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा उसी कमरे में थी। इस मामले पर लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। प्रेम-प्रसंग, ब्लैकमेलिंग से लेकर हत्या-आत्महत्या के बीच मामला उलझ गया है। दैनिक भास्कर की टीम SHO अरुण राय के घर संत कबीरनगर पहुंची। परिवार के लोगों से बात की। आइए सब कुछ एक तरफ से जानते हैं… इंस्पेक्टर ने 9 बजे पत्नी े बात की, 17 मिनट बाद मौत हुई
5 दिसंबर 2024, जालौन जिले के कुठौंद थाना प्रभारी अरुण कुमार राय हर दिन की तरह सुबह-सुबह थाने आए। कुछ फरियादियों से मिले। दोपहर में बिजली स्टेशन के पास हुए पंच कुंडीय महायज्ञ के भंडारे में शामिल हुए। इसके बाद थाने लौटे। फिर जालौनी माता मंदिर के पुजारी सर्वेश महाराज की बेटी की शादी में पहुंचे। कुठौंद में शाम को थाने के सिपाहियों के साथ फ्लैग मार्च किया और वापस थाने आ गए। इंस्पेक्टर अरुण राय ने रात करीब 9 बजे पत्नी से बात की और कहा कि खाना खा लिया है। अब सोने जा रहे। 9 बजकर 14 मिनट पर कमरे में महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा दाखिल हुई। 3 मिनट बाद वह कमरे से भागते हुए निकली और सिपाहियों से कहा- साहब ने खुद को गोली मार ली। इसके बाद वह रुकी नहीं और फोन पर बात करते हुए भाग गई। सिपाही अंदर गए। अरुण मच्छरदानी के अंदर खून से लथपथ पड़े थे। पिस्टल उनके सीने पर पड़ी थी। गोली उनकी कनपटी के आरपार हो गई थी। मौके पर ही उनकी मौत हो चुकी थी। परिवार को पता चला, गोली लग गई
संतकबीरनगर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर राजनौली गांव में इंस्पेक्टर अरुण राय का पुस्तैनी घर है। 10 साल पहले अरुण ने गोरखपुर में जमीन लेकर मकान बनवा लिया था। उनकी पत्नी और एक बेटा वहीं रहते हैं। लेकिन, अक्सर अरुण अपने गांव राजनौली आते रहते थे। यहां उनकी मां और भाई का परिवार रहता है। अरुण का पार्थिव शरीर भी यहीं लाया गया था। दैनिक भास्कर की टीम जब घर पर पहुंची, तो अजीब-सा सन्नाटा था। मां एक तरफ बैठकर सिसक रही थीं। हमारी मुलाकात एसएचओ के बड़े भाई अरविंद कुमार राय से हुई। अरविंद बताते हैं- 12 नवंबर को वह यहां आए थे। एक दिन पहले जब गोरखपुर में थे, तो फोन करके हालचाल पूछा था। शुगर की जांच के लिए मुझे बुलाया, लेकिन मैं नहीं जा पाया। अगले दिन वह आए, पूरा दिन यहीं रहे। किसी तरह की कोई चिंता नहीं दिखी। हर किसी से मिले। बात की, फिर शाम को गोरखपुर लौट गए। अरविंद कहते हैं- 5 दिसंबर की रात फोन आया कि अरुण को गोली लग गई है, हॉस्पिटल में भर्ती हैं। हम लोग यहां से निकले और अगली सुबह 6 बजे पहुंचे। पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है। हमारे परिवार के और भी लोग वहां पहुंच गए। प्रेम-प्रसंग की बात सामने आई, जबकि यह सच नहीं। अरुण ने तो 20-25 साल की उम्र में ये सब नहीं किया, फिर अब जब जिम्मेदारी आ गई तब ऐसा कैसे कर सकता है। जिस महिला को पकड़ा गया है, वह जालसाज टाइप की है। पहले भी उसने लोगों को फंसा रखा है। उसने ही गोली मारी है। क्योंकि, कोई खुद को गोली मारेगा और फिर पिस्टल उसके सीने पर रखी मिलेगी। ऐसा तो नहीं हो सकता। मेरे चाचा बुजदिल नहीं थे, सिपाही का तो पैटर्न यही था
घर में मौजूद अन्य सदस्य भी सदमे में हैं। अरुण की भतीजी प्रगति राय सबको संभाल रही हैं। वह बताती हैं- 2-3 दिन पहले चाचा से बात हुई थी। सब कुछ नॉर्मल था। उन्होंने मेरी पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा। ऐसा लगा ही नहीं कि वह मेंटली टॉर्चर हैं। बहुत नॉर्मल तरीके से बात की। जिस दिन की यह घटना है, उस दिन भी उन्होंने चाची से अच्छे से बात की। फिर कहा कि अब सोने जा रहे हैं। प्रगति कहती हैं- मेरे चाचा बुजदिल नहीं थे, वह खुद को नहीं मार सकते। ये मर्डर है, उसी महिला सिपाही ने किया है। अभी तक उसके बारे में जो कुछ जानकारी आ रही है, उसमें यही सब निकल रहा है। उसका एक पैटर्न है। पहले वह फंसाती है और फिर वसूली करती है या फिर मार देती है। उसके पिता को ही देखिए। वह कह रहे थे कि मैं तुम्हें निकाल लूंगा। मैं बस इतना चाहती हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें न्याय मिलना चाहिए। घर में कलह नहीं, दो-दो हवेली, फिर क्यों मारेंगे खुद को गोली
चाचा दिनेश राय अरुण के स्वभाव को लेकर कहते हैं- वह बहुत हंसने-बोलने वाले थे। सबसे सरल स्वभाव में मिलते-जुलते थे। जब भी गांव आते, पूरे गांव में जाते थे। इस वक्त उनके पास किसी चीज की दिक्कत नहीं। यहां मकान है, गोरखपुर में दो-दो कोठियां हैं। बड़े भाई के पास हार्डवेयर की दुकान है। अगर परिवार में कोई दिक्कत नहीं, तो कोई क्यों गोली मारेगा? अगर कोई उन्हें ब्लैकमेल करता तो वह घर पर बताते ही, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी। इसलिए परिवार के किसी भी व्यक्ति को कुछ नहीं बताया। कभी हम लोगों से भी इस मामले की चर्चा नहीं की। बेटा गुमसुम, मां बेटे को याद करके सिर्फ रो रहीं
अरुण के परिवार में उनकी पत्नी माया राय के अलावा एक 19 साल का बेटा अमृतांश राय है। अमृतांश ने इसी साल 12वीं पास की है। वह राजस्थान के कोटा में रहकर NEET की तैयारी कर रहा। पिता की मौत की खबर सुनकर वह घर पहुंचा। गुमसुम है, किसी से कोई बात नहीं कर रहा। पिता के क्रिया-कर्म में लगा है। घर से करीब 500 मीटर दूर घड़े बांधे गए हैं। अमृतांश सुबह-शाम खाना लेकर जाता है। अरुण की मां से जैसे ही बात करने की कोशिश की गई, वह रोने लगीं। बार-बार कहतीं कि कहां चला गया मेरा लाल। उसे बुलाओ। परिवार के अन्य लोग भी उनकी बातों को सुनकर रोने लगते हैं। पत्नी माया गुमसुम हैं। सिर्फ इतना कहती हैं कि मेरे पति ऐसा नहीं कर सकते। वह सुसाइड नहीं कर सकते। उनकी हत्या हुई है। कभी भी उन्होंने मीनाक्षी के मामले में कुछ भी नहीं बताया था। दो बातें, जो मौत की गुत्थी को उलझा रहीं पहलीः अंदाजा लगाया जा रहा कि मीनाक्षी कमरे में पहुंची, 3 मिनट तक रही। इस दौरान दोनों के बीच बहस हुई और मीनाक्षी ने ही अरुण को गोली मार दी। पिस्टल उनके सीने पर रखकर कमरे से भाग गई। दूसरीः कॉल डिटेल के मुताबिक 2 से 5 दिसंबर के बीच अरुण और मीनाक्षी के बीच 100 बार फोन पर बात हुई। दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि मीनाक्षी को देखते ही अरुण ने खुद को गोली मार ली। मार्च 2024 में मुलाकात, दिसंबर 2025 में सब बर्बाद हुआ
मीनाक्षी और अरुण के बीच जान-पहचान पिछले साल मार्च महीने से शुरू हुई। 14 मार्च को मीनाक्षी की नियुक्ति उरई की कोंच कोतवाली में हुई। 5 जुलाई, 2024 को अरुण राय कोंच थाने के प्रभारी बन गए। दोनों एक ही थाने में 7 महीने तक रहे। कहा जाता है कि इस दौरान दोनों एक-दूसरे के खास बन गए। फरवरी- 2025 में अरुण का ट्रांसफर उरई कोतवाली कर दिया गया। इसी साल अप्रैल में मीनाक्षी को यूपी 112 के यूनिट-1577 में भेज दिया गया। मीनाक्षी इसके बावजूद कोंच के सरकारी आवास में रहते हुए ही ड्यूटी करती रही। उसके कमरे में एसी लगा है। अब अरुण और मीनाक्षी दूर थे, लेकिन अक्सर एक-दूसरे से बात करते और मिलते थे। मीनाक्षी अब अरुण को ब्लैकमेल करने लगी थी। उसने पहले तो अरुण के जरिए ही आई-फोन खरीदा। इसके बाद अरुण पर दबाव बनाकर 3 लाख रुपए का एक हार खरीदा। इन खरीदारियों के बीच दोनों के रिश्ते तल्ख हो गए। दूसरी तरफ, मीनाक्षी की शादी भी तय हो गई थी। पिछले महीने उसने सगाई कर ली थी। फरवरी में शादी होनी थी। यहां भी दो थ्योरी सामने आ रही अरुण मीनाक्षी से छुटकारा चाहते थेः कहा जा रहा कि अरुण मीनाक्षी से छुटकारा चाहते थे। इसके लिए मीनाक्षी ने शर्त रखी थी कि शादी के लिए 25 लाख रुपए दे दीजिए। इसके बाद कोई मतलब नहीं रहेगा। ऐसा नहीं करने पर दोनों के कुछ फोटो-वीडियो थे जिसे मीनाक्षी पत्नी माया राय को भेजने की धमकी दे रही थी। अरुण चाहते थे कि मीनाक्षी शादी न करे: दूसरी थ्योरी यह है कि अरुण मीनाक्षी को पसंद करते थे। वह नहीं चाहते थे कि मीनाक्षी शादी करे। इसलिए उसकी हर जरूरत को पूरा करते थे। 2 दिसंबर को उसका बर्थडे था। मीनाक्षी ने मेरठ में बर्थडे मनाया। इसलिए अरुण नाराज हुए। 2 से 5 दिसंबर के बीच 100 से ज्यादा बार दोनों के बीच वॉट्सऐप पर बात हुई और झगड़ा हुआ। ————————- ये खबर भी पढ़ें… इंस्पेक्टर की मीनाक्षी से 3 दिन में 100 बार बातचीत, कॉल रिकॉर्ड ने खोले राज जालौन के कुठौंद थाने में तैनात इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय (52) की मौत का राज गहराता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इंस्पेक्टर राय और महिला सिपाही मीनाक्षी शर्मा (28) के बीच 3 दिन में 100 से ज्यादा बार फोन पर बातचीत हुई। ज्यादातर वीडियो कॉल हैं। महिला सिपाही ने कुछ की रिकॉर्डिंग भी की है। पढ़िए पूरी खबर…


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