कोहरे की मार से दृश्यता घटते ही राजधानी लखनऊ की सड़कों पर हादसे बढ़ गए हैं। परिवहन विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बीते साल के मुकाबले 20.3 फीसदी बढ़ी, जबकि हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में 30.4 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया। हालांकि, घायलों की संख्या में मामूली कमी आई है। नवंबर के आंकड़े: हादसे बढ़े, मौतें ज्यादा रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में लखनऊ में कुल 148 सड़क हादसे हुए। इनमें 60 लोगों की मौत हुई और 92 लोग घायल हुए। पिछले साल नवंबर में दुर्घटनाओं की संख्या 123 थी और मृतक 46। इस लिहाज से हादसों में तेज़ बढ़ोतरी के साथ मौतों का ग्राफ भी चिंताजनक रहा। प्रदेशभर की बात करें तो नवंबर में 4625 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 2531 लोगों की जान गई और 3420 लोग घायल हुए। 11 महीनों का ट्रेंड: हादसों और मौतों में निरंतर बढ़ोतरी जनवरी से नवंबर के बीच लखनऊ में सड़क हादसे 1485 से बढ़कर 1572 हो गए—यानी 87 अतिरिक्त दुर्घटनाएं। इसी अवधि में मौतों की संख्या 519 से बढ़कर 603 पहुंच गई, जो 16.2 फीसदी वृद्धि दर्शाती है। घायलों की संख्या भी 1065 से बढ़कर 1109 हो गई। ओवरस्पीडिंग और रॉन्ग साइड ड्राइविंग बनी हादसे की वजह अधिकारियों के मुताबिक कोहरे में कम दृश्यता के चलते हादसे बढ़ते हैं, लेकिन इसके साथ तेज रफ्तार, मोबाइल पर बात करते हुए ड्राइविंग, शराब पीकर वाहन चलाना और उल्टी दिशा से वाहन चलाना भी प्रमुख कारण हैं। कोहरा इन जोखिमों को और खतरनाक बना देता है। एक महीने से ठप चेकिंग अभियान वाहनों की चेकिंग का अभियान बीते एक महीने से लगभग ठप है। ओवरलोडिंग मामलों में एसटीएफ की जांच के चलते अफसरों की सतर्कता बढ़ी है, जिससे सड़कों पर नियमित चेकिंग प्रभावित हुई। हालांकि विभाग का कहना है कि नवंबर में हादसों की मुख्य वजह कोहरा ही रहा। सड़क सुरक्षा पर बैठक, नए साल से सख्ती आरटीओ (प्रवर्तन) भात कुमार पांडेय ने बताया कि सड़क हादसों पर लगाम कसने के लिए मंगलवार को मंडलीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक होगी। साथ ही 1 जनवरी से सड़क सुरक्षा माह शुरू किया जाएगा, जिसमें यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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