प्रयागराज जनपद के निजी शीतगृहों में भंडारित आलू की निकासी का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अधिकांश किसानों ने अपने आलू निकाल लिए हैं, लेकिन कुछ शीतगृहों में अभी भी सीमित मात्रा में आलू शेष है। इसे देखते हुए जिला उद्यान विभाग ने स्पष्ट किया है कि निर्धारित अवधि के भीतर आलू की निकासी अनिवार्य है। लापरवाही बरतने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद के निजी शीतगृहों में आलू भंडारण की अवधि 15 फरवरी से 30 नवंबर तक तय है। इस अवधि का उद्देश्य किसानों को पर्याप्त समय देना है, ताकि वे आसानी से अपने भंडारित आलू की निकासी कर सकें। यदि कोई किसान या किरायेदार निर्धारित समय पर आलू नहीं उठाता है, तो उत्तर प्रदेश कोल्ड अधिनियम-1976 के प्रावधान लागू होंगे। अधिनियम के अनुसार, यदि किरायेदार या किसान रसीद में दर्शाई गई तिथि से 15 दिन के भीतर अपना माल नहीं उठाता है, तो शीतगृह स्वामी को तत्काल नोटिस जारी करना होगा। इस नोटिस में किसान से रसीद जमा करने, शीतगृह के सभी देय शुल्कों का भुगतान करने और आलू तुरंत उठाने की अपेक्षा की जाएगी। इस नोटिस की एक प्रति लाइसेंस अधिकारी या जिलाधिकारी को भी भेजी जाएगी। यदि नोटिस मिलने के सात दिन के भीतर भी किसान या किरायेदार द्वारा आलू की निकासी नहीं की जाती है, तो शीतगृह स्वामी को आलू को कोल्ड स्टोरेज से हटाकर सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से बेचने का अधिकार होगा। यह बिक्री किरायेदार या किसान के खर्च और जोखिम पर होगी। इस बिक्री की सूचना कम से कम 48 घंटे पहले लाइसेंस अधिकारी या जिलाधिकारी को देना अनिवार्य होगा, ताकि वे स्वयं या किसी अधिकृत अधिकारी के माध्यम से बिक्री का पर्यवेक्षण कर सकें। जिला उद्यान अधिकारी ने सभी शीतगृह स्वामियों और किसानों से अपील की है कि वे उत्तर प्रदेश कोल्ड विनियमन अधिनियम-1976 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।
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