‘केशव मेरा इकलौता बेटा था। हर माता-पिता की तरह हमने भी उसको लेकर बहुत सारे सपने देखे थे लेकिन अब वह नहीं है। हम उससे जुड़े हर सपने को पूरा करेंगे। अपनी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएंगे। वह केशव की कमी को पूरा करेंगी और हमारी ताकत बनेंगी।’ यह कहना है मेरठ के सदर निवासी राधेश्याम का, जिनके इकलौते बेटे केशव की 4 दिसंबर की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उनकी बेटी से प्रेम विवाह रचाने वाले अंश ने की थी। पिछले काफी समय से दोनों परिवारों के बीच तनाव चल रहा था। राधेश्याम अपनी बेटी को भी घर ले आए। तनाव इतना बढ़ गया कि अंश ने केशव की गोली मारकर हत्या कर दी। बेटे की हत्या के बाद से परिवार सदमें में है। पहले हत्या वाले दिन की 3 तस्वीर… बेटियों को बनाऊंगा अपनी ताकत इकलौते बेटे केशव की मौत के बाद से राधेश्याम का परिवार तो सदमें में है ही, आस पड़ौस के घरों में भी सन्नाटा पसरा है। पिता राधेश्याम बताते हैं कि केशव पढ़ा लिखा होने के साथ ही बहुत समझदार था। वह लोगों की भी समस्या का समाधान करता था। अपनी बहन की वह ढाल बनकर खड़ा था। वह तो अब नहीं है लेकिन वह अपने परिवार को कमजोर नहीं पड़ने देंगे। वह दोनों बेटियों को अपनी ताकत बनाएंगे। उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे। नौकरी करना चाहेंगी तो उनको नौकरी भी कराएंगे ताकि वह अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें। खुद के पैरों पर खड़ा होना चाहता था पिता राधेश्याम उसकी बातों को याद कर भावुक हो जाते हैं। उनका कहना है कि घर में किसी चीज की कमी नहीं है। दो दो गाड़िया हैं। सब केशव का ही था लेकिन वह बोलता था कि एक दिन इतना बड़ा आदमी बनूंगा कि सब देखते रह जाएंगे। केशव लॉ कर रहा था और बड़ा वकील बनना चाहता था। बेटे के हत्यारों को सजा दिलाना मकसद राधेश्याम बताते हैं कि हत्या वाले दिन से करीब एक सप्ताह पहले से घर में तनाव चल रहा था। अंश के दोस्त केशव पर टिप्पणी करते थे जो उसकी बहन को लेकर होती थी। हत्या वाली रात स्पॉट पर काफी लोग मौजूद थे लेकिन पुलिस केवल दो आरोपियों को दबोच सकी। उन आरोपियों का पकड़ा जाना जरूरी है, जिनकी शह पर यह हत्या की गई थी। हत्यारों को किये की सजा दिलाना भी उनके जीवन का उद्देश्य है। मां बदहवास, बार-बार बुला रही केशव को केशव की मौत के सदमें से शायद ही मां सोनू जल्दी से उबर पाए। वह बदहवास है और बार बार बेटे को याद कर फूट फूटकर रोने लगती है। रोते हुए वह केवल यही कहती है कि कोई एक बार तो उसके बेटे केशव को बुला दे। हालांकि वह यह भी जानती है कि केशव अब नहीं लौटेगा। छोटी बहन भी भाई को खोने के बाद से गुमसुम है। हत्यारों को मिले फांसी की सजा केशव की मौत के बाद से पूरा परिवार बदहवास है। अब ना तो किसी को खाने की चिंता है और ना ही सोने की। राधेश्याम कहते हैं कि दिन कब बीत जाता है, पता ही नहीं चलता। उनकी रात तो केशव को याद करते हुए पूरी रात जागकर कट रही हैं। अब उनका केवल एक ही उद्देश्य है, बेटे के हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाए।
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