लखनऊ की CBI कोर्ट ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में कड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केन्द्रीय विद्यालय-1, एयरफोर्स स्टेशन चकेरी, कानपुर के तत्कालीन प्रिंसिपल तसद्दुक़ ख़ान को दोषी करार देते हुए चार साल की सश्रम कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला स्कूल कैंटीन संचालन और भुगतान से जुड़ी रिश्वत मांगने का है। क्या है पूरा मामला CBI के अनुसार, यह मामला 24 अगस्त 2016 को दर्ज किया गया था। शिकायत कानपुर स्थित एक निजी कंपनी के प्रोप्राइटर ने की थी। आरोप था कि तत्कालीन प्रिंसिपल तसद्दुक़ ख़ान ने स्कूल कैंटीन संचालन और पहले से किए गए भुगतान के बदले रिश्वत की मांग की। रिश्वत की मांग और सौदेबाज़ी जांच में सामने आया कि आरोपी प्रिंसिपल ने शिकायतकर्ता से 51 हजार रुपये की अवैध मांग की थी। बाद में सौदेबाज़ी के तहत 25 हजार रुपये लेने पर सहमति बनी। यह रकम शिकायतकर्ता को पहले से किए गए 1 लाख 73 हजार 430 रुपये के भुगतान के बदले और भविष्य में स्कूल कैंटीन को बिना बाधा चलाने देने के एवज में मांगी गई थी। CBI की कार्रवाई और चार्जशीट CBI ने मामले की जांच पूरी करने के बाद 30 सितंबर 2016 को आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। जांच के दौरान रिश्वत मांगने और स्वीकार करने से जुड़े साक्ष्य अदालत में पेश किए गए। कोर्ट का फैसला 9 साल चली लंबी सुनवाई के बाद CBI कोर्ट, लखनऊ ने आरोपी तसद्दुक़ ख़ान को दोषी ठहराया। कोर्ट ने उन्हें चार साल की सजा के साथ एक लाख रुपये जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि लोक सेवक द्वारा पद का दुरुपयोग कर रिश्वत मांगना गंभीर अपराध है और ऐसे मामलों में सख्त सजा जरूरी है।
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