मेरठ के IMA हॉल में सोमवार को रिटेल केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर एसोसिएशन की बैठक का आयोजन किया गया । इसको लेकर संगठन के लोग लगातार पिछले एक महीने से जिले भर के केमिस्ट से मिल रहे थे। इस बैठक का मूल उदेश्य यह बात स्पष्ट करना था कि ऐसी दवाओं की बिक्री केमिस्टों के माध्यम से नहीं होती जिसमें दवा का उपयोग उपचार के बजाय नशे के लिए किया जा रहा हो, वहां मूल रूप से दोषी दवा निर्माता कंपनियां हैं। कंपनियों द्वारा बनाए गए इस अवैध सप्लाई नेटवर्क को समाप्त किया जाना अत्यंत आवश्यक है। दवा विक्रेता किसी भी रूप में अपराधी नहीं है। दवा व्यापारियों का शोषण नहीं होने देंगे प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सैनी ने कहा कि किसी भी संस्था को दवा व्यापारियों का शोषण नहीं करने दिया जाएगा। सभी दवा कंपनियों से व्यापारिक व्यवहार वर्ष 1983 के एग्रीमेंट के अनुरूप ही किया जाएगा। जो कंपनियां निर्धारित मार्जिन नहीं देंगी, उनका माल रखने से केमिस्ट संगठन इनकार करेगा। इसके साथ ही उन्होंने ऐसे लोगों की पहचान करने का आह्वान किया, जिन्होंने सरकार द्वारा जीएसटी कम किए जाने के स्वागतयोग्य निर्णय के बावजूद कंपनियों के दबाव में 12 प्रतिशत की दर से माल बेचने में सहयोग किया। कंपनी दोषी केमिस्ट नहीं प्रदेश अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कहा कि कोडिंग युक्त कफ सिरप के दुरुपयोग से जुड़े मामलों में अपराध करने वाली दवा कंपनियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि कफ सिरप का निर्माण करने वाली कंपनियों की गहन जांच की जाए तो सच्चाई स्वतः सामने आ जाएगी। ये कंपनियां भली-भांति जानती हैं कि उनकी यह दवाएं सामान्य उपचार के लिए बाजार में नहीं बिकतीं, बल्कि पूरी खेप नशे के उद्देश्य से पूर्व निर्धारित अवैध नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न केंद्रों तक पहुंचाई जाती है। संगठन का प्रमुख उद्देश्य एक्सपायरी दवाओं की समय-सीमा से जुड़े अधिकारों को पुनः प्राप्त करना है। इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर कठिन से कठिन संघर्ष भी किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश भर के दवा विक्रेताओं से एकजुट होकर आंदोलन में सहभागी बनने की अपील की।
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