कुशीनगर में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। अब तक जिले में पराली जलाने की 92 घटनाएं सामने आई हैं। इन पर कार्रवाई करते हुए हाटा तहसील ने 7 किसानों पर नियमानुसार 17,500 रुपए का जुर्माना लगाया है। जिलाधिकारी ने राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को पराली जलाने की घटनाओं पर कार्रवाई में कोई ढिलाई न बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बिना स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम या पराली प्रबंधन यंत्र के धान कटाई कर रहे कंबाइन हार्वेस्टरों को तत्काल सीज करने का आदेश भी दिया है। अधिकारियों ने किसानों से उन्नत कृषि यंत्रों जैसे मल्चर, रोटरी स्लैशर, स्ट्रॉ रीपर और पैडी स्ट्रॉ चापर आदि का उपयोग करके पराली को खेत में ही मिलाने का अनुरोध किया है। इससे किसान कानूनी कार्रवाई से बच सकेंगे और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी। जिन गांवों में एक से अधिक पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं, वहां के प्रधानों को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाएं। कृषि विभाग पराली प्रबंधन के लिए बायो डी-कंपोजर निःशुल्क वितरित कर रहा है, जो राजकीय बीज भंडारों पर उपलब्ध है। इसके अलावा, गांवों में डुग्गी-मुनादी और प्रचार वाहनों के माध्यम से किसानों से पराली न जलाने की अपील की जा रही है। उप कृषि निदेशक आशीष कुमार ने किसानों से सुपरसीडर के माध्यम से सीधे गेहूं की बुवाई करने और पराली को खेत में दबाकर खाद बनाने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी अपील की है कि किसान किसी भी स्थिति में पराली न जलाएं, बल्कि इसे पास की निराश्रित गौशालाओं में दान करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।
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