कुशीनगर जिले के अहिरौली थाना क्षेत्र में एक परिवार जमीन विवाद में मारपीट और लूट के मामले में न्याय के लिए भटक रहा है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस कोर्ट के आदेशों और पुलिस अधीक्षक के निर्देशों का भी पालन नहीं कर रही है। बलुआ निवासी नारद मुनि चौबे के अनुसार, एक साल पहले नवंबर माह में उनके पाटीदारों ने जमीन विवाद को लेकर उनके परिवार पर हमला किया था। इस मारपीट में उनकी दो बेटियों को गंभीर चोटें आईं, जबकि उनकी पत्नी और नारद मुनि चौबे भी घायल हुए। शुरुआत में पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था। दिसंबर माह में फिर से हुई मारपीट में उनकी दो बेटियों के हाथ टूट गए। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि मारपीट के बाद हमलावर उनका मोबाइल फोन और कुछ आभूषण भी लूट ले गए। पुलिस ने कई गंभीर धाराओं में मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन नारद मुनि चौबे का आरोप है कि विवेचक ने लूट की धारा हटाने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। पीड़ित के अनुसार, आरोपियों ने लूटा हुआ मोबाइल पुलिस को जानकारी में दिया था, लेकिन उसे नियमानुसार जब्त करने के बजाय वैसे ही सुपुर्दगी देने का दबाव बनाया गया। तात्कालिक थानाध्यक्ष ने एक बातचीत में मोबाइल मिलने की बात स्वीकार की थी, लेकिन आरोपियों को बचाने के लिए विवेचना से लूट की धारा हटा दी गई। पीड़ित परिवार ने जब साक्ष्य न्यायालय के सामने रखे, तो सितंबर माह में कोर्ट ने आदेश दिया कि एफआईआर में लूट की धारा बढ़ाई जाए और मामले को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। हालांकि, पीड़ित का कहना है कि अब तक न्यायालय के आदेशों पर कोई अमल नहीं किया गया है। इस घटना के बाद से पीड़ित परिवार एक साल से गांव छोड़कर रह रहा है। इस संबंध में अहिरौली बाजार थाना अध्यक्ष संजय दुबे ने बताया कि नियमानुसार विवेचना चल रही है और उचित कार्यवाही की जाएगी। विवेचना में शिथिलता के कारण पीड़ित परिवार ने दो बार जिले के नए पुलिस कप्तान से भी मुलाकात की है और आरोप लगाया है कि आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कुशीनगर के पुलिस अधीक्षक केशव कुमार ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया है कि विवेचक को तलब कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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