ठंड से राहत देने के लिए सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच रामकोला नगर पंचायत में बड़ा फर्क नजर आया। दैनिक भास्कर की टीम ने जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित रामकोला नगर में अलाव और रैन बसेरों की व्यवस्थाओं का रियलिटी टेस्ट किया। पड़ताल में सामने आया कि कागजों में पूरी दिखने वाली व्यवस्थाएं जमीन पर अधूरी और असमान हैं, जिससे आम लोगों और यात्रियों को ठंड में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। नगर पंचायत क्षेत्र में ठंड से बचाव के लिए अलाव की व्यवस्था केवल 5 से 7 स्थानों पर की गई है। ये अलाव मुख्य चौक-चौराहों और सीएचसी रामकोला परिसर में जलते हुए जरूर दिखे, लेकिन नगर के विस्तार के बाद जुड़े नए गांवों और चौराहों तक यह व्यवस्था नहीं पहुंच सकी।इन इलाकों में रहने वाले लोग मजबूरी में कूड़ा-कचरा और आसपास पड़ी लकड़ियां जलाकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे आग लगने और प्रदूषण का खतरा भी बढ़ गया है। रेलवे स्टेशन पर रैन बसेरे, लेकिन सुविधाएं नदारद रामकोला का रेलवे स्टेशन नगर का सबसे व्यस्त इलाका है। यहां यात्रियों की आवाजाही दिन-रात बनी रहती है। स्टेशन परिसर में अस्थायी टेंट लगाकर रैन बसेरे तो बना दिए गए हैं, लेकिन उनमें पर्दे तक नहीं लगाए गए हैं।वहीं मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि तीन दिन पहले शुरू किए गए रैन बसेरों में अब तक कोई भी व्यक्ति नहीं रुका है। यात्रियों का कहना है कि खुला टेंट ठंडी हवा से बचाव नहीं कर पा रहा, ऐसे में वहां ठहरने का कोई फायदा नहीं। स्थायी रैन बसेरे में सीलन, बीमारी का खतरा नगर कार्यालय परिसर में बनाए गए स्थायी रैन बसेरे का भी भास्कर टीम ने निरीक्षण किया। रैन बसेरा औपचारिक रूप से शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन इसकी दीवारों में सीलन साफ दिखाई दे रही है।ऐसे माहौल में यहां रहना ठंड से राहत देने की बजाय बीमारियों को दावत देने जैसा है। हैरानी की बात यह है कि अब तक इन रैन बसेरों की जानकारी देने के लिए कोई बोर्ड या सूचना पट्ट भी नहीं लगाया गया, जिससे जरूरतमंद लोगों को इनके बारे में पता ही नहीं चल पा रहा। कोरमपूर्ति तक सीमित व्यवस्थाएं मौके की स्थिति को देखते हुए साफ है कि रेलवे और नगर पंचायत स्तर पर ठंड से बचाव की व्यवस्थाएं सिर्फ कोरमपूर्ति तक सीमित रह गई हैं।बिहार, गोरखपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों से आने-जाने वाले यात्रियों, दैनिक मजदूरों और जरूरतमंदों को ठंड में खुले में समय बिताने को मजबूर होना पड़ रहा है। अधिकारी बोले—जल्द दूर होंगी कमियां इस पूरे मामले पर रामकोला नगर में एसबीएम पद पर तैनात अखिलेश कश्यप ने कुछ व्यवस्थागत कमियों को स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि व्यवस्थाएं एक दिन पहले ही शुरू हुई हैं, इसी वजह से कुछ दिक्कतें सामने आ रही हैं। इन्हें जल्द ठीक करा लिया जाएगा। जितने निर्देश मिले थे, वे पूरे कर दिए गए हैं। आगे जैसे ही नए निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुसार और व्यवस्थाएं की जाएंगी।” हालांकि, सवाल यह है कि जब ठंड अपने चरम पर है, तब अधूरी तैयारी और ढुलमुल व्यवस्था कितनी जल्दी सुधरेगी। फिलहाल रामकोला नगर में ठंड से बचाव की योजनाएं जरूरतमंदों के लिए राहत नहीं, बल्कि इंतजार का सबब बनी हुई हैं।
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