कानपुर देहात में फाइलेरिया, जिसे हाथीपांव रोग भी कहा जाता है, कुलेक्स मच्छर के काटने से होता है। यह बीमारी 10 से 15 वर्ष बाद भी सामने आ सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, मीना मंच के मास्टर ट्रेनर नवीन कुमार दीक्षित ने मॉडल प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर में बच्चों को स्वच्छता की शपथ दिलाई और फाइलेरिया से बचाव के उपाय बताए। दीक्षित ने बच्चों को बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए वर्ष में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा डी.ई.सी., एल्बेण्डाजोल और आइवरमेक्टिन का सेवन करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि हर बच्चे को मच्छरदानी में सोना चाहिए ताकि मच्छरों के काटने से बचा जा सके। उन्होंने यह भी समझाया कि इस बीमारी के लगने से परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हो सकता है और गरीबी रेखा के नीचे आ सकता है। मच्छर गंदे और प्रदूषित पानी में पनपते हैं, इसलिए घर के आसपास पानी जमा न होने दें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। बच्चों को सलाह दी गई कि टायरों और डिब्बों में बारिश का पानी जमा न होने दें। मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिए शाम के समय पूरे कपड़े पहनें, नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं और मच्छर भगाने वाली दवाओं का प्रयोग करें।
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