आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज , अयोध्या के सब्जी विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. सीएन राम ने केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (ICAR) शिमला के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके लूथरा के साथ मिलकर कुफरी जमुनिया आलू विकसित किया है। आलू की यह आकर्षक प्रजाति अपनी विशेषताओं के चलते काफी लोकप्रिय हो रही है। विश्वविद्यालय में फिलहाल इसका फील्ड ट्रायल दो वर्षों से चल रहा है। जामुन जैसी दिखने वाली आलू की यह प्रजाति 90 से 100 दिनों तैयार हो जाती है। कुफरी जमुनिया आलू की कई खूबियां हैं, यह बैंगनी गूदे वाला, एंटीऑक्सीडेंट (एंथोसायनिन) से भरपूर, स्वास्थ्यवर्धक, जल्दी पकने वाला (90-100 दिन), उच्च उपज (32-35 टन/हेक्टेयर) और अच्छी भंडारण क्षमता वाला किस्म है, जो सब्जी, सलाद और विभिन्न व्यंजनों के लिए उपयुक्त है। डॉ सीएन राम ने बताया कि इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, एंथोसायनिन (जो बैंगनी रंग देता है) और कैरोटीनॉयड होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। इसके साथ ही यह इम्यूनिटी सिस्टम को ही स्ट्रांग करता है। 100 ग्राम गूदे में 52 ग्राम विटामिन सी, 32 ग्राम एंथोसायनिन और 163 माइक्रोग्राम कैरोटीनॉयड पाया जाता है। इसका गूदा गहरा बैंगनी रंग का होता है, जो इसे अन्य आलुओं से अलग और आकर्षक बनाता है। इसका स्वाद सामान्य आलुओं से बेहतर होता है। इस आलू से सब्जी, सलाद, पूरी, परांठा, रायता, पकौड़ा, हलवा और अन्य बेकरी उत्पादों में इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉ सीएन राम ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय की मुख्य सब्जी विज्ञान प्रक्षेत्र में वर्ष 2021-22 से लगातार सतत परीक्षण के बाद कुफरी जमुनिया विकसित की गई इस प्रजाति को विकसित करने के लिए भारत के अलग-अलग राज्यों में परीक्षण के लिए लगाया गया था जिसमें कुमारगंज, कानपुर ,मोदीपुरम, पटना ,हिसा,र पंतनगर समेत 29 अनुसंधान स्थानों पर परीक्षण चल रहा था सतत परीक्षण के बाद कुफरी जमुनिया आलू भारत सरकार से अनुमोदित हुई। वैज्ञानिक ने यभी बताया कि इस आलू की बुवाई 15 अक्टूबर से नवंबर तक की जा सकती है। यह आलू में लगने वाली झुलसा रोग प्रतिरोधी होती है।
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